कोविड-19 महामारी के दौरान लोगों में मानसिक तनाव का स्तर काफी बढ़ गया है। संक्रमण से निपटने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के बीच मानसिक तनाव और अवसाद का सामना कर रहे 1,300 से अधिक लोगों ने महाराष्ट्र सरकार से चिकित्सकीय मदद मांगी है। पहले ऐसे लोग कम आ रहे थे। राज्य की एक स्वास्थ्य अधिकारी ने यह जानकारी दी।
निजी डॉक्टरों ने भी दावा किया कि पिछले कुछ महीनों में लोगों में अवसाद, मनोग्रसित बाध्यता विकार (ओसीडी) और घर से बाहर जाने में डर के मामले काफी बढ़े हैं। राज्य स्वास्थ्य विभाग की एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि महाराष्ट्र के 36 जिलों में से 30 में 1,302 लोग मनोचिकित्सकों की मदद ले रहे हैं। उनमें से कुछ हिंसक व्यवहार से पीड़ित थे, जैसे लंबे समय तक अवसाद के बाद खुद को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करना आदि। उन्होंने कहा कि कुछ जिलों से मामलों की रिपोर्ट अभी नहीं आई है, इसके आने के बाद संख्या और बढ़ सकती है।
लंबे समय तक असर-
मनोचिकित्सक आनंद नाडकर्णी ने कहा कि इस वर्ष मार्च से पहले (कोविड-19 के प्रकोप से पहले) उनके पास ओसीडी के रोजाना छह से सात मामले आते थे। अब हर दिन 32 से 36 मामले आ रहे हैं। कई लोग ओसीडी को बीमारी नहीं मानते, इसलिए यह लंबे तक उनके जीवन पर असर डालता है।
मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ मृदुला आप्टे ने बताया कि वैश्विक महामारी से पहले हर सप्ताह उनके पास तनाव संबंधी दो से तीन मामले आते थे। अब रोजाना कम से कम तीन लोग इस समस्या को लेकर आते हैं।
जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ और महाराष्ट्र संचारी रोग निवारण एवं नियंत्रण तकनीकी समिति के अध्यक्ष डॉ. सुभाष सालुंके ने कहा कि कोविड-19 के कारण उत्पन्न अवसाद और मानसिक तनाव एक वैश्विक परेशानी बन गया है। जो लोग पहले से ही ऐसी बीमारियों से पीड़ित थे, वे बीमारी बढ़ने की शिकायत कर रहे हैं। कुछ लोग जिनमें हल्के लक्षण थे या उनमें ऐसी ही समस्याएं थीं, जिनके बारे में कभी पता नहीं चला, वे अब परामर्श लेना चाहते हैं।