मुंबई:बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने गुरुवार को एक जनहित याचिका में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें प्रधानमंत्री के नागरिक सहायता और आपातकालीन स्थिति में राहत (पीएम केयर) फंड के प्रबंधन के लिए विपक्षी दलों के दो सहित तीन ट्रस्टियों की नियुक्ति की मांग की गई थी।
याचिकाकर्ता वकील, अरविंद वाघमारे ने निजी ऑडिटिंग फर्म मैसर्स सार्क एसोसिएट्स को हटाने की मांग की, क्योंकि इसमें सार्वजनिक धन शामिल है। उनके अनुसार, तीन ट्रस्टियों की खाली सीटों को भरने से पहले एक लेखा परीक्षक की नियुक्ति अवैध है और इसलिए, इसे रद्द कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर अपनी याचिका में संशोधन किया और प्रशांत भूषण द्वारा दायर जनहित याचिका को खारिज करते हुए, CAG ऑडिट और NDRF को फंड ट्रांसफर करने की मांग की।
अपनी याचिका में, वाघमारे ने सरकार से समय-समय पर सरकार की वेबसाइट पर प्राप्त धन और उसी के व्यय की घोषणा करने के लिए एक दिशा-निर्देश की मांग की है। याचिका के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाले पीएम केयर फंड को कोरोवायरस की वजह से आपातकाल या संकट से निपटने के मुख्य उद्देश्य के साथ बनाया गया था। देश में लोगों से वित्तीय सहायता लेने के लिए और कोविड -19 महामारी से प्रभावित लोगों को राहत और सहायता प्रदान करने के लिए ये ट्रस्ट बनाया गया था।
गुरुवार शाम को विस्तृत सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति सुनील शुकरे और न्यायमूर्ति अनिल किलर की खंडपीठ ने बॉम्बे हाईकोर्ट की खंडपीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया। सुनवाई डेढ़ घंटे से अधिक समय तक चली।