- निविदा नहीं लगने पर भी लंबे समय तक फंसी रहती है ईएमडी
- पालिका की इस लापरवाही से पालिका खजाने व ठेकेदारों का होता है भारी नुकसान
स्टाफ रिपोर्टर/वसई। वसई विरार शहर महानगरपालिका में ठेके को लेकर शहर का काम करवाने वाले ठेकेदारों में बेहद निराशा है, जिसकी वजह पालिका के निविदा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों/कर्मचारियों की भारी लापरवाही बताई जा रही है। जानकारी के अनुसार, वसई विरार शहर महानगरपालिका द्वारा जारी ठेके की निविदा के लिए ईएमडी हेतु भरी जाने वाली रकम काफी समय तक फंसाकर रखा जाता है, जिसकी वजह से वे काफी निराश व परेशान हैं। वे मानते हैं कि इसके पीछे पालिका के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की घोर लापरवाही है।
उल्लेखनीय है कि निविदा प्रक्रिया के समय पालिका में ठेके के कामों के लिए जब निविदाएं भरवाई जाती हैं तब उस समय ईएमडी के रूप में 1 प्रतिशत निविदा के साथ लिया जाता है, जो निविदा नहीं लगने की स्थिति में निविदाकर्ता को वापस किया जाना चाहिए लेकिन वसई-विरार शहर महानगरपालिका द्वारा ऐसा नहीं किया जाता है। यह रकम ऑनलाइन लिया तो जाता है लेकिन जिस ठेकेदार को निविदा मिलता है उसकी जिसकी निविदा नहीं लगती है, उसकी भी ईएमडी फंस जाती है। खास बात यह है कि ईएमडी के रूप में लिया जाने वाला यह पैसा काफी समय तक न तो ठेकेदारों को वापस मिलती है और न ही वीवीसीएमसी के खाते में ही जाता है। जिससे ठेकेदारों के अलावा सरकारी खजाने का भी पैसा काफी समय तक फंसा रह जाता है।
ठेकेदारों के अनुसार, हम महीने में कई बार निविदाएं भरते हैं जिसमें हमारा लाखों रुपया निविदा नहीं लगने की स्थिति में भी महीनों-महीनों या कभी कभी वर्षों फंसा रह जाता है, साथ ही जिस ठेकेदार की निविदा लगती है उससे प्राप्त पैसा भी वीवीसीएमसी के खजाने में न जाकर गेटवे में ही फंसा रह जाता है, जो सरासर गलत है। सूत्रों से यह भी पता चला है कि यह रकम ऑनलाइन प्रक्रिया के गेटवे में ही फंसा रहता है, जिसकी वजह से ना तो पालिका के काम आता है और ना ही ठेकेदार के।
इस बारे में महानगर पालिका की ठेकेदारी करने वाले कुछ ठेकेदारों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस प्रक्रिया के तहत काम करने पर हम लोगों के साथ ही पालिका का जो नुकसान होता है वह आखिर कौन भरेगा। कुछ तो मनपा आयुक्त की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाते हैं और कहते हैं कि या तो आयुक्त को प्रक्रिया की जानकारी नहीं है या वे जान बूझकर ऐसा कर रहे हैं, जो कि बिल्कुल भी उचित नहीं है। इस संबंध मनपा आयुक्त किसी की भी बात सुनने को तैयार नहीं हैं। वे इस समय न तो किसी भी जन प्रतिनिधि से मिलना चाहते हैं और न ही पत्रकार के सवालों का जवाब दे रहे हैं जबकि इस लापरवाही के चलते सरकारी खजाने के साथ ही महानगरपालिका के कई ठेकेदारों का भी काफी पैसा फंसा हुआ है।
अब यदि लोग कहते हैं कि ठेकेदार मुनाफावसूली के चक्कर में काम में लापरवाही बरतता और तो कहीं न कहीं उसके लिए वीवीसीएमसी के आयुक्त व इससे संबंधित कर्मचारी भी जिम्मेदार हैं, क्योंकि काम करने वाला व्यक्ति बिना मुनाफा काम तो नहीं करेगा, वह किसी न किसी तरह उसकी वसूली करेगा ही। हालांकि इसकी भरपाई न तो उन जिम्मेदार अधिकारियों की जेब से जाता है ना ही कर्मचारियों के। इस लापरवाही का सीधा असर जनता के टैक्स पर पड़ता है।