तेहरान:ईरान के विदेश मंत्रालय ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और इज़राइल के बीच बृहस्पतिवार (13 अगस्त) को पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित करने के लिए हुए ऐतिहासिक समझौते की कड़ी निंदा की और इसे सभी मुसलमानों के पीठ में छुरा घोंपना करार दिया। सरकारी टीवी ने शुक्रवार (14 अगस्त) को एक रिपोर्ट में यह बताया।
मंत्रालय की ओर से जारी बयान में ईरान ने दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य करने को ‘खतरनाक’ और ‘शर्मनाक’ कदम बताया है और संयुक्त अरब अमीरात को इज़राइल द्वारा फारस की खाड़ी के क्षेत्र के ‘राजनीतिक समीकरण में हस्तक्षेप’ करने को लेकर आगाह किया है। बयान में मंत्रालय ने कहा, ”संयुक्त अरब अमीरात सरकार और अन्य सहयोगी सरकारों को इस कदम से होने वाले परिणाम की जिम्मेदारी भी अवश्य लेनी चाहिए।”
वहीं संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने इज़राइल और संयुक्त अरब अमीरात के बीच पूर्ण राजनयिक संबंध बहाली के समझौते का स्वागत किया है। गुतारेस ने उम्मीद जताई है कि इस समझौते से इज़राइल और फलस्तीन के नेता दोबारा से द्विराष्ट्रीय समाधान की दिशा में ‘सार्थक वार्ता’ की तरफ बढ़ सकते हैं।
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और इज़राइल ने बृहस्पतिवार को उस समझौते के तहत पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित करने पर सहमति जताई जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस समझौते के तहत इजराइल अपने कब्जे वाले पश्चिमी तट के बड़े हिस्सों का विलय नहीं करेगा। फिलिस्तीनी अपने भावी राज्य के लिए यह क्षेत्र चाहते हैं। उधर फलस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास के एक प्रवक्ता ने इस समझौते को विश्वासघात बताया।