नई दिल्ली:वीरेंद्र सहवाग को भारतीय क्रिकेट टीम का सबसे विस्फोटक ओपनर माना जाता था। दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने सौरव गांगुली और सचिन तेंदुलकर के साथ ओपनिंग की। दोनों के साथ ही उन्हें सफलता मिली। पहली गेंद से ही हमले की रणनीति ने उन्हें दुनिया के सबसे खतरनाक आक्रमण के खिलाफ भी टॉप बल्लेबाजों में शामिल किया गया। सहवाग, सचिन तेंदुलकर के बाद दूसरे ओपनर थे, जिन्होंने वनडे में दोहरा शतक बनाया। टेस्ट क्रिकेट में तिहरा शतक बनाने वाले वह पहले भारतीय थे। कोलकाता नाइट राइडर्स के निदेशक जॉय भट्टाचार्य ने हाल ही में बताया कि कैसे सौरव गांगुरी की एक सलाह ने सहवाग के करियर को एक नया मोड़ दिया था।
अगर वीरेंद्र सहवाग ओपनिंग न करते और मध्यक्रम में खेलते तो शायद चीजें इस तरह न होतीं। उस समय भारत के मध्यक्रम में सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ जैसे दिग्गज थे। मध्यक्रम में सहवाग को इन सबसे मुकाबला करना पड़ता, खासतौर पर टेस्ट क्रिकेट में।
कोलकाता नाइट राइडर्स के निदेशक जॉय भट्टाचार्य ने गौरव कपूर के शो ’22 यार्न्स’ में बताया कि सौरव गांगुली ने सहवाग को ओपनिंग की सलाह देकर उनके करियर को नया मोड़ दिया था। उन्होंने कहा, ”युवराज सिंह को देखिए, सहवाग को देखिए। आप जानते हैं सहवाग के साथ गांगुली ने क्या किया। गांगुली ने सहवाग से कहा था कि मध्यक्रम में बहुत भीड़ है। यदि तुम भारत के लिए खेलना चाहते हो तो तुम्हें ओपनिंग करनी होगी।”
उन्होंने कहा, ”गांगुली ने सहवाग से कहा था कि मध्यक्रम में मैं हूं, तेंदुलकर, लक्ष्मण और द्रविड़ जैसे खिलाड़ी हैं। यहां तुम्हारे लिए कम मौके होंगे। इसलिए जाओ और ओपन करो। सहवाग ने ओपनिंग की और इतिहास बन गया।”
बता दें कि वीरेंद्र सहवाग ने सबसे पहले 2001 में श्रीलंका के खिलाफ कोलंबो में वनडे में ओपनिंग की। वह शून्य पर आउट हो गए, लेकिन गांगुली सहवाग उन्हें ओपन कराने के अपने निर्णय पर अड़े रहे। अगले मैच में सहवाग ने अपना पहला वनडे शतक जमाया। सहवाग ने अपने करियर में 104 टेस्ट मैचों में 49.34 की औसत से 8586 रन बनाए, जिसमें 23 शतक भी शामिल हैं। उन्होंने 251 वनडे में 35.05 की औसत से 15 शतकों के साथ 8273 रन बनाए।