नई दिल्ली:2009 में हुए इंडियन प्रीमियर लीग में खिताब हासिल करने वाली आईपीएल फ्रेंचाइजी डेक्कन चार्जर्स को हटाना बीसीसीआई को भारी पड़ गया है और इसकी उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। दुनिया की सबसे महंगी टी-20 लीग पर यह अब तक का सबसे बड़ा जुर्माना लगाया गया है। बता दें कि डेक्कन चार्जर्स को गलत तरीके से हटाने के एवज में इंडियन प्रीमियर लीग को 4,800 करोड़ रुपये का हर्जाना चुकाना होगा। इस केस में कोर्ट ने एक आर्बिट्रेटर नियुक्त किया था जिसने बीसीसीआइ के खिलाफ अपना फैसला दिया है। डेक्कन चार्जर्स का मालिकाना हक पहले डेक्कन क्रोनिकल्स होल्डिंग्स (DCHL) के पास था।
बता दें कि यह मामला 2012 का है। उस समय हैदराबाद के एक मीडिया ग्रुप ने फ्रेंचाइजी को हटाने के बीसीसीआई के फैसले को कोर्ट में चुनौती दी थी। बोर्ड ने14 सितंबर 2012 को चेन्नई में आईपीएल गवर्निंग काउंसिल की आपातकालीन बैठक बुलाकर डेक्कन चार्जर्स की टीम को IPL से निकाल दिया गया फिर DCHL ने इस फैसले के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में अर्जी दी। बाद में इस टीम की जगह सनराइजर्स हैदराबाद ने ली थी।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने पूरे मामले की जांच के लिए रिटायर्ड जस्टिस सीके ठक्कर को नियुक्त किया था। डेक्कन क्रॉनिकल का पक्ष जहां धीर एंड धीर एसोसिएट्स रख रहे थे तो बीसीसीआई का प्रतिनिधित्व मनियर श्रीवास्तव एसोसिएट्स कर रहे थे। धीर एंड धीर एसोसिएट्स के पार्टनर आशीष प्यासी ने कहा, ‘बीसीसीआई ने डेक्कन क्रॉनिकल के अनुबंध को एक दिन पहले समाप्त कर दिया था। यह चुनौती अवैध और समयपूर्व समाप्ति के संबंध में थी और ट्रिब्यूनल भी ने भी इसे गलत माना’।
डेक्कन चार्जर्स के आईपीएल सफर की बात करें तो टीम ने 2008 से लेकर 2012 तक खेली। इस टीम ने एडम गिलक्रिष्ट की अगुवाई में 2009 में पहली बार आईपीएल खिताब अपने नाम किया था। तब इन्होंने रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर को हराकर टूर्नामेंट जीता था। टीम को 2012 में बाहर कर दिया गया और इसके बाद सन टीवी नेटवर्क ने हैदराबाद फ्रेंचाइजी की बोली जीती नई टीम सनराइजर्स हैदराबाद आई।