श्रावण माह भगवान शिव को अतिप्रिय है। इस माह को वर्ष का सबसे पवित्र माह माना जाता है। यह माह भगवान शिव और भगवान विष्णु का आशीर्वाद लेकर आता है। कथाओं के अनुसार इस माह में ही समुद्र मंथन हुआ। हलाहल विष को भगवान शिव ने कंठ में समाहित कर सृष्टि की रक्षा की। विष का प्रभाव कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने भगवान शिव को जल अर्पित किया। इसलिए इस माह शिवलिंग पर जल अर्पित करने का विशेष महत्व है।
श्रावण मास में भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र ऊं नम: शिवाय का नियमित जाप, तन-मन को शुद्ध करता है। सावन माह में सोमवार का व्रत रखने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। माता पार्वती ने सावन के सभी सोमवार का व्रत रखा। फलस्वरूप उन्हें भगवान शिव पति रूप में प्राप्त हुए। सावन माह में शिव चालीसा का पाठ करें। महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। सावन के सभी सोमवार को व्रत रखें। सावन के मंगलवार को माता पार्वती की आराधना होती है। इसे मंगला गौरी व्रत कहा जाता है। श्रावण मास में कृष्ण एकादशी कामिका एकादशी कहलाती है। सावन शिवरात्रि भी इसी माह मनाया जाता है। श्रावणी अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहा जाता है। इस माह हरियाली तीज का त्योहार उल्लास से मनाया जाता है। नाग पंचमी पर्व श्रावण शुक्ल पंचमी को मनाया जाता है। रामचरित मानस के रचियता तुलसीदास की जयंती श्रावण शुक्ल सप्तमी को मनाई जाती है। श्रावण मास में शुक्ल एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। रक्षाबंधन का पर्व श्रावण पूर्णिमा को मनाया जाता है।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।