काठमांडू:नेपाल की सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) में खुल कर सामने आई दरार के बीच पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने बृहस्पतिवार (2 जुलाई) को राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी से मुलाकात की। भंडारी द्वारा कैबिनेट की अनुशंसा पर संसद के बजट सत्र को स्थगित करने की घोषणा के कुछ घंटे के बाद प्रचंड ने राष्ट्रपति से मुलाकात की।
‘माई रिपब्लिका’ की खबर के अनुसार माना जा रहा है कि एनसीपी की पूर्व नेता रही भंडारी ने सत्तारूढ़ पार्टी के भीतर दरार के बारे में जानकारी ली है। इससे पहले दिन में प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने राष्ट्रपति से मुलाकात की थी और उनसे बजट सत्र को स्थगित करने का अनुरोध किया था।
दरअसल, कुछ ही दिन पहले नेपाली प्रधानमंत्री के पी ओली ने भारत को निशाना बनाकर टिप्पणियां की थीं, जिसके बाद से वे अपनी ही पार्टी के शीर्ष नेताओं के निशाने पर आ गए हैं। 68 वर्षीय प्रधानमंत्री ओली ने रविवार (28 जून) को दावा किया था कि उन्हें सत्ता से हटाने के लिए “दूतावासों और होटलों” में कई तरह की गतिविधियाँ हुई हैं। उन्होंने कहा था कि कुछ नेपाली नेता भी खेल में शामिल हैं।
नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं ने मांगा पीएम ओली से इस्तीफा
प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की भारत विरोधी टिप्पणी के लिए पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ समेत सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष नेताओं ने मंगलवार (30 जून) को उनके इस्तीफे की मांग की थी। शीर्ष नेताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री की टिप्पणी न तो राजनीतिक तौर पर ठीक थी न ही कूटनीतिक तौर पर यह उचित थी। प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास पर सत्तारूढ़ पार्टी की स्थाई समिति की बैठक शुरू होते हुए ही प्रचंड ने रविवार (28 जून) को प्रधानमंत्री द्वारा की गई टिप्पणी के लिए उनकी आलोचना की। उन्होंने कहा, ”भारत उन्हें हटाने का षड्यंत्र कर रहा है, प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी न तो राजनीतिक तौर पर ठीक थी न ही कूटनीतिक तौर पर यह उचित थी।” उन्होंने आगाह किया, ”प्रधानमंत्री द्वारा इस तरह के बयान देने से पड़ोसी देश के साथ हमारे संबंध खराब हो सकते हैं।”
पीएम ओली से आरोपों को लेकर मांगे गए सबूत
एक वरिष्ठ नेता ने प्रचंड के हवाले से बताया कि प्रधानमंत्री द्वारा पड़ोसी देश और अपनी ही पार्टी के नेताओं पर आरोप लगाना ठीक बात नहीं है।उन्होंने कहा कि प्रचंड के अलावा, वरिष्ठ नेता माधव कुमार नेपाल, झालानाथ खनल, उपाध्यक्ष बमदेव गौतम और प्रवक्ता नारायणकाजी श्रेष्ठ ने प्रधानमंत्री को अपने आरोपों को लेकर सबूत देने और त्यागपत्र देने को कहा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को इस तरह की टिप्पणी के लिए नैतिक आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए। हालांकि, बैठक में मौजूद प्रधानमंत्री ने कोई टिप्पणी नहीं की। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, ”यह दिखाता है कि 48 सदस्यीय स्थाई समिति और नौ सदस्यीय केंद्रीय सचिवालय, दोनों में प्रधानमंत्री अल्पमत में हैं।”
अप्रैल में भी मांगा गया था ओली से इस्तीफा
इससे पहले अप्रैल में भी वरिष्ठ नेताओं ने ओली को प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र देने को कहा था। ओली ने रविवार को कहा था, ”अपनी जमीन पर दावा कर मैंने कोई भूल नहीं की। नेपाल के पास 146 साल तक इन इलाकों का अधिकार रहने के बाद पिछले 58 साल से इस जमीन को हमसे छीन लिया गया था।” हालांकि नेपाल के इस दावे को भारत खारिज कर चुका है।
सीमा को लेकर भारत और नेपाल में चल रहा है विवाद
नेपाल ने संसद में प्रस्ताव पारित कर संविधान संशोधन के जरिए तीन भारतीय इलाके कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को अपने नए नक्शे में शामिल कर लिया है। भारत ने नवंबर 2019 में एक नया नक्शा जारी किया था, जिसके करीब छह महीने बाद नेपाल ने मई महीने देश का संशोधित राजनीतिक और प्रशासनिक नक्शा जारी कर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इन इलाकों पर अपना दावा बताया था। हालांकि भारत पहले ही नेपाल के इस दावे को खारिज कर चुका है।
सड़क निर्माण शुरू होने पर तनाव हुआ
भारत और नेपाल के बीच रिश्तों में उस वक्त तनाव दिखा जब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आठ मई को उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे को धारचुला से जोड़ने वाली रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन किया। नेपाल ने इस सड़क के उद्घाटन पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए दावा किया कि यह सड़क नेपाली क्षेत्र से होकर गुजरती है। भारत ने नेपाल के दावों को खारिज करते हुए दोहराया कि यह सड़क पूरी तरह उसके भूभाग में स्थित है।
नेपाल ने मई महीने जारी किया था देश का नया नक्शा
नेपाल ने 18 मई को देश का संशोधित राजनीतिक और प्रशासनिक नक्शा जारी कर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इन इलाकों पर अपना दावा बताया था। भारत यह कहता रहा है कि यह तीन इलाके उसके हैं। काठमांडू द्वारा नया नक्शा जारी करने पर भारत ने नेपाल से कड़े शब्दों में कहा था कि वह क्षेत्रीय दावों को “कृत्रिम रूप से बढ़ा-चढ़ाकर” पेश करने का प्रयास न करे।
भारत ने कहा, नेपाल का यह कदम मान्य नहीं
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने शनिवार (13 जून) को कहा था, ”हमने इस बात पर गौर किया है कि नेपाल ने मानचित्र में बदलाव करते हुए कुछ भारतीय क्षेत्रों को इसमें शामिल करने के लिए संविधान संशोधन विधेयक पारित किया है। हमने पहले ही इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है।” उन्होंने कहा था कि दावों के तहत कृत्रिम रूप से विस्तार, साक्ष्य और ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं है और यह मान्य नहीं है। प्रवक्ता ने कहा था, ”यह लंबित सीमा मुद्दों का बातचीत के जरिए समाधान निकालने के संबंध में बनी हमारी आपसी सहमति का भी उल्लंघन है।”