मुंबई। आरुष फाउंडेशन वर्ल्ड विटीलीगों डे (सफ़ेद दाग़ दिवस) के तीन दिवसीय ऑनलाइन कार्यक्रम में दूसरे दिन के अन्तर्गत एक ऑनलाइन क्विज़ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस ऑनलाइन क्विज़ प्रतियोगिता के अन्तर्गत सभी तरह के कुप्रथा, अंधविश्वास को सवाल और जवाब के माध्यम से गेम के ज़रिए दूर किया गया।
भारत में सफ़ेद दाग़ को बहुत अलग नजरिए से देखा जाता है। अक्सर लोग इससे प्रभावित इंसान को काफ़ी हेय दृष्टि से देखते हैं जैसे लगता है कि वो इस समाज का हिस्सा ही नहीं है। इस प्रतियोगिता में ना सिर्फ़ अपने देश से बल्कि विदेशों से भी कई प्रतियोगियों ने भाग लिया। इस प्रतियोगिता के माध्यम से समाज में ये संदेश दिया गया कि सफ़ेद दाग़ किसी के छूने से नहीं फैलता ना ही उससे दोस्ती करने से। लोग बचते है ऐसे इंसान से जिसे सफ़ेद दाग़ हुआ रहता है जो कि सिर्फ़ अंधविश्वास के कारण है।ना ही इन पर किसी भूत का साया है ना ही कहीं से रूह या जिन्न समाया है इनमें।ये सब मनगढ़ंत कहानियां है जानकारी के अभाव की वज़ह से।
सफ़ेद दाग़ से प्रभावित इंसान को भी आम आदमी की तरह प्यार इज्ज़त की ज़रूरत होती है।ऐसा भेदभाव देख समाज का वो मानसिक तनाव से गुजरने लगते हैं। ऐसे लोगो को जरूरत होता है अपनेपन और प्यार का ,समाज अगर उन्हें अपना के उन्हें प्रोत्साहित करें तो इनमें कभी हिन भाव नहीं आएगा। आरुष फाउंडेशन आज एक मिशाल बन के उभरा है।एक अच्छी सोच समाज में कैसे बड़ा बदलाव ला सकता है इसका जीता जागता उदाहरण आरुष फाउंडेशन के संस्थापक आकाश तिवारी जी है। जो ख़ुद सफ़ेद दाग़ से प्रभावित है जब उनके साथ भेदभाव का वाकया हुआ तो उन्हें महसूस किया कि बाक़ी लोगों को कितना सहना पड़ता है।इसके लिए उन्होंने सभी सफ़ेद दाग़ प्रभावित लोगों की मदद के लिए आगे आने का संकल्प लिया।उन्होंने आरुष फाउंडेशन की स्थापना किया।आकाश तिवारी और उनकी पूरी टीम निरंतर अपने संकल्प को पूरा करने के लिए अग्रसर है।
वर्ल्ड विटीलीगों डेः दूसरे दिन क्विज़ प्रतियोगिता का आयोजन
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