मुंबई: 30 मई को मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने मिलिट्री इंटेलिजेंस यूनिट के साथ मिलकर गोवंडी इलाके में अवैध टेलीफोन एक्सचेंज रैकेट का भंडाफोड़ किया था। अब इस मामले में चीन की संलिप्तता सामने आई है। जांच में यह भी सामने आया है कि यह एक्सचेंज 7 महीने तक चला और इससे लाखों कॉल जम्मू कश्मीर में की गई थी। क्राइम ब्रांच ने इस मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया था। उसके पास से 191 सिमकार्ड बरामद हुए थे।
चीन की तीन कंपनियां इस नेटवर्क में थीं शामिल
क्राइम ब्रांच की जांच में सामने आया है कि यह एक्सचेंज पाकिस्तान या दूसरे देशों से आने वाली इंटरनेट (वीओआईपी) कॉल को लोकल जीएसएम कॉल में बदल कर फोन नंबर पर ट्रांसफर कर देता था। सीधे शब्दों में समझा जाए तो विदेश से किसी व्यक्ति ने भारत में कॉल की है तो यह एक्सचेंज, कॉल रिसीव करने वाले के नंबर पर भारतीय नंबर ही दिखाएगा और ऐसा लगेगा कि भारत से ही कॉल की गई है। जांच में सामने आया है कि इस पूरे नेटवर्क में चीन की तीन कंपनियां भी शामिल थीं। जिसने कॉल रूट करने में इस्तेमाल होने वाले उपकरण, सिम बॉक्स और तकनिकी सपोर्ट मुहैया करवाए थे।
जम्मू में आर्मी ऑफिस में किया गया था फोन
मुंबई क्राइम ब्रांच के संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) संतोष रस्तोगी ने बताया था कि अवैध टेलीफोन एक्सचेंज चलाने के लिए चार सिम बॉक्स का इस्तेमाल किया जा रहा था। बरामद 191 सिम कार्ड में से 72 एक्टिव थे और अन्य 119 को आगे के बैकअप के लिए रखा गया था। उन्होंने कहा, ‘इस एक्सचेंज से बड़े पैमाने पर राजस्व का नुकसान हुआ है। यहां से जम्मू के कुछ रक्षा प्रतिष्ठानों को भी कॉल गई है।’ उन्होंने आगे बताया, ‘इन सिम बॉक्सों में डायनामिक आईएमईआई सिस्टम का भी इस्तेमाल किया गया है, जो टेलिकॉम मंत्रालय की ओर से अवैध है।’
ऐसे हुआ मामले का खुलासा
पुलिस अधिकारी ने बताया था कि मई के बीच में यहां से कई संदिग्ध फोन कॉल जम्मू में तैनात सेना से जुड़े लोगों को किए गए। इसमें लद्दाख से जुड़ी कुछ जानकारी भी ली गई थी। फोन करने वाले ने अपनी नकली पहचान बताई थी, जिसके बाद मामले में संदेह हुआ और आर्मी इंटेलिजेंस ने इसकी जानकारी मुंबई पुलिस को दी। इस मामले में नेपाल और खाड़ी देशों के कुछ कनेक्शन भी सामने आए हैं और उनकी जांच की जा रही है।