मुंबई। कोविड19 की महामारी से निपटने के लिए केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए पीएम केयर फंड को लेकर शुरू से सवाल उठते रहे हैं बावजूद इसके हर वर्ग के लोग प्रधानमंत्री केअर फंड में अपना योगदान देते रहे हैं। ऐसे में आरटीआई के तहत इस फंड में राजनीतिक दलों के योगदान की जानकारी मांगने पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने मायूस कर दिया है। मुंबई के प्रसिद्ध आरटीआई एक्टीविस्ट अनिल गलगली ने एकसाथ चार विभिन्न विषयों पर जानकारी मांगने की कोशिश की थी, जिसे देने से पीएमओ ने इंकार कर दिया है।
जानकारी के अनुसार, गलगली ने चार विभिन्न प्रकार की आरटीआई आवेदन कर प्रधानमंत्री कार्यालय से जानकारी मांगी थी, जिसे पीएमओ द्वारा यह कहकर खारिज किया गया कि पीएम केयर फंड आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 2 (एच) के अंतर्गत एक सार्वजनिक प्राधिकरण नहीं है। हालांकि, पीएम केयर्स फंड के संबंध में प्रासंगिक जानकारी वेबसाइट pmcares.gov.in पर देखी जा सकती है। अनिल गलगली ने राजनीतिक दलों के योगदान की जानकारी मांगी थी। जिससे साफ होता है कि शायद ही इसमें किसी दल ने योगदान दिया होगा।
कितने चेक बाउंस हैं?
अनिल गलगली ने दूसरे आरटीआई में विभिन्न लोगों द्वारा जमा चेक की स्थिति और बाउंस होने की स्थिति में की गई कारवाई का ब्यौरा मांगा था। इसे भी देने से प्रधानमंत्री कार्यालय ने इनकार किया।
कितना राज्यों को दिया?
अनिल गलगली ने अपनी तीसरी आरटीआई में पीएम केअर फंड से कोविड19 के तहत राज्यों को आबंटित धनराशि की जानकारी मांगी थी। उनका मानना हैं कि हर राज्य पीएम केअर फंड से आस लगाए बैठा है। यह जानकारी महत्वपूर्ण होने के बावजूद पीएमओ ने इस जानकारी को साझा नहीं किया।
कोविड पर कितना किया खर्च?
अनिल गलगली ने अपनी चौथी आरटीआई में पीएम केअर फंड में दानदाताओं द्वारा जमा धनराशि और उससे कोविड19 के नियंत्रण और रोकथाम पर किए गए खर्च का ब्यौरा मांगा था। आज कोविड पर काम करनेवाले सभी प्रकार के लोगों को पीपीई किट्स, मास्क नहीं मिलने की शिकायतें हैं। कई अस्पतालों में उपकरणों की किल्लत है। लेकिन इसे भी देने से पीएमओ ने इनकार कर दिया।
वेबसाइट भी छुपाती हैं जानकारी
अनिल गलगली के चारों आरटीआई में से एक का भी जबाब नहीं मिला। जब गलगली ने वेबसाइट का निरीक्षण किया तब वहां पर जमा धनराशि और खर्च का ब्यौरा नहीं पाया गया। जबकि सार्वजनिक प्राधिकरण न होते हुए भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर दिख रही थी। अनिल गलगली का आरोप है कि जमा धनराशि दान से आने से इसका हिसाब वेबसाइट पर अपलोड करना चाहिए ताकि किसी को आरटीआई करने की आवश्यकता न हो। एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी भी प्रकार का सवाल और जानकारी पूछने की अपील करते हैं और दूसरी ओर उनका ही पीएमओ कार्यालय उनकी अपील का उपहास करता है, यह आरोप आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने लगाया है।