कोरोना वायरस के चलते अब स्थितियों के अनुसार डिजिटल शिक्षा छात्रों के लिए स्कूल की तरफ से एक मात्र साधन हो गया है। यहां पर पारंपरिक शिक्षा और डिजिटल शिक्षा के बीच एक ऐसा क्रम चल रहा है जिससे यह पता चल नहीं रहा कि कौन सी शिक्षा हमारे बच्चे के लिए अभी के समय जरूरी है तो इस सवाल के जवाब में हमें कई तर्क वितर्क दिए जाते हैं। जहां एक ओर डिजिटल शिक्षा फायदा बनती है, जिससे नई नई चीजें सीखने को मिलती है। ऑनलाइन प्रस्तुतीकरण से व्यवहारिक सत्र में शैक्षणिक सामग्री छात्रों को विवरण पर अधिक ध्यान देने में मदद करती है। अपने कार्य को पूरा करने में सक्षम बनते हैं समय पर काम पूरा करते हैं वहीं पर online शिक्षा का छात्रों को नुकसान भी बहुत उठाना पड़ रहा है।
कोरोना वायरस के समय में बच्चों के लिए डिजिटल शिक्षा जितनी जरूरी है, वही डिजिटल शिक्षा के अपने कई नुकसान भी हैं। जैसे डिजिटल शिक्षा को पाने के लिए लोगों को कई उपकरणों को लेना होता है और जो काफी महंगे होते हैं और हर किसी के पास इस समय ना तो वह साधन है और ना ही खरीदने की क्षमता। इसके अलावा ना तो परिस्थितियां हैं जहां पर हम वह साधन कहीं से जुटा सकें। इसी कारण डिजिटल शिक्षा पाना हर किसी के लिए बस की बात नहीं है और मोबाइल पर भी अगर ऑनलाइन पढ़ाई की जाती है तो तीन-तीन घंटे मोबाइल और उसकी बैटरी इतनी गर्म और खतरनाक हो जाती है कि यह हमारे बच्चों के लिए भी नुकसानदायक है। पारंपरिक किताबी शिक्षा से हम घरों या स्कूल कहीं भी पढ़ाई कर सकते हैं, पर ऑनलाइन पढ़ाई के लिए बेहतर प्रबंधन कठोर योजनाएं और प्रॉपर कनेक्टिविटी होना अनिवार्य हो गया है।
यूं तो इंटरनेट पर सभी जवाब आसानी से प्राप्त हो जाते हैं परंतु कभी-कभी हर जगह कनेक्टिविटी नहीं मिल रही तो बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई करेंगे कैसे अभी ऑनलाइन पढ़ाई के समय में बच्चों को ज्यादा देर मोबाइल या लैपटॉप पर बहुत देर तक बैठना पड़ता है, जिससे आंखों पर भी असर पड़ता है और बच्चा बाद में गलत उपयोग भी कर सकता है। जहां एक और हम बच्चों को मोबाइल से दूर रखने की कोशिश कर रहे हैं वहीं ऑनलाइन पढ़ाई के जरिए हम बच्चों के हाथ में मोबाइल दे रहे हैं। ऑनलाइन पढ़ाई करने के लिए ना तो बच्चा पहले से तैयार था ना कभी कोशिश की गई। ऑनलाइन पढ़ाई के जरिए उनका मानसिक शारीरिक और चारित्रिक हनन भी हो रहा है। वर्तमान परिस्थितियों में ऑनलाइन पढ़ाई एक विकल्प जरूर है लेकिन ये पढ़ाई का ठोस आधार नही है। ऑनलाइन पढ़ाई के लिये सभी बच्चों को जोड़ना सरकार के लिये एक बड़ी चुनौती है। पढ़ाई के लिये जो वातावरण स्कूल में होता है वो घर में नहीं हो पाता। इसलिये इसे लम्बे समय तक जारी रखना हितकर नहीं है। अभी तो इसका एक ही पहलू देखा है जब इसका दूसरा पहलू देखेंगे तो पता चलेगा कि ऑनलाइन शिक्षा के दुष्परिणाम भी सामने आएंगे। बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ेगा।
ऑनलाइन पढ़ाई के दुष्परिणाम
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