नई दिल्ली:लॉकडाउन के बीच दिल्ली सरकार ने सरकारी या प्राइवेट जमीन पर स्कूल चलाने वालों को फीस नहीं बढ़ाने, स्कूल स्टाफ को पूरा वेतन समय पर देने और ट्यूशन फीस के अलावा कोई और फीस चार्ज नहीं करने का जो आदेश दिया है, उसका पालन नहीं करने वालों पर सरकार ने पहली बार आपदा प्रबंधन कानून लगाकर साफ कर दिया है कि सख्त कार्रवाई सरकार करेगी।
दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम व नियम, 1973, आईपीसी के दावपेज में निकलने की दशा में सरकार ने आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 51(बी) में कार्रवाई का आदेश किया है। इस धारा में एफआईआर दर्ज होने पर एक साल तक सजा, जुर्माना या दोनों हो सकता है। फिर इस उल्लंघन की वजह से किसी पैरेंट की जान चली जाती है तो सजा 2 साल तक की हो सकती है। लॉकडाउन के कारण स्कूल जल्द बंद हो गए हैं। इससे को-करिकुलम एक्टिविटीज, स्पोर्ट्स एक्टिविटीज, ट्रांसपोर्ट और अन्य डेवलपमेंटल एक्टिविटीज का खर्च करीब-करीब निल है।
ट्यूशन फीस में सैलरी, ऑफिस के अन्य खर्च व करिकुलम एक्टिविटी का खर्च भी शामिल होता है। यही वजह है कि अगले आदेश तक ट्यूशन फीस के अलावा किसी अन्य तरह की कोई फीस नहीं लेंगे। अगले निर्देश तक किसी भी तरह की कोई फीस चालू शैक्षणिक सत्र 2020-21 में नहीं बढ़ाएंगे।
इस तरह समझें फीस का गणित: सरकार के आदेश से 2000-3000 रु. की हो सकती है मासिक बचत
सरकार के इस आदेश से छोटे-बड़े प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले करीब 18 लाख बच्चों को लाभ मिलेगा। प्ले स्कूल को जोड़ लें तो ये संख्या और ज्यादा बनेगी। दिल्ली सरकार ने जो आदेश किया है कि सिर्फ मासिक ट्यूशन फीस स्कूल ले पाएंगे, उससे पैरेंट्स को मासिक 2000-3000 रुपए तक की बचत हो सकती है। ट्यूशन फीस के अलावा स्कूल स्मार्ट क्लास फीस, डेवलपमेंट फीस, ट्रांसपोर्ट फीस, एनुअल चार्जेज, एक्टिविटी फीस वसूलते हैं। इसमें भास्कर ने सेंट एंड्रूज स्कॉट स्कूल और नेशनल विक्टर स्कूल के फीस स्ट्रक्चर का आंकलन किया तो पाया कि दोनों स्कूल त्रैमासिक यानी क्वार्टरली फीस लेते हैं।
इसमें पाया कि सेंट एंड्रूज स्कॉट स्कूल सातवीं क्लास में 8500 रुपए एनुअल चार्ज, ट्रांसपोर्ट चार्ज 7200 रुपए, एक्टिविटी चार्ज 1200 रुपए है। कुल 28100 रुपए में 12 हजार रुपए ही ट्यूशन फीस है। इसी तरह नेशनल विक्टर स्कूल की 10वीं क्लास की फीस में त्रिमासिक 22715 रुपए लिए जा रहे हैं जिसमें ट्यूशन फीस 16530 रुपए है।
आदेश में यह कहा गया है कि स्कूल के लिए मंजूर या 2015-16 में भरे गए फीस स्ट्रक्चर के हिसाब से ही स्कूल ट्यूशन फीस लें
शिक्षा निदेशक विनय भूषण की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि चाहे प्राइवेट जमीन पर बना हो या फिर सरकार से आवंटित जमीन पर चलाया जा रहा हो कोई भी फीस बढ़ाने के पहले निदेशक से अनुमति लेनी होती है। अनुमति के बिना स्कूल 2015-16 के फीस स्ट्रक्चर जो भरा था या फिर इससे पहले स्कूल के लिए जो मंजूर किया गया हो, उसी के हिसाब से ट्यूशन फीस लें। शिक्षा निदेशक ने आदेश में कहा है कि कुछ प्राइवेट स्कूल अपने टीचिंग औन नॉन टीचिंग स्टाफ को लॉकडाउन के दौरान सैलरी नहीं दे रहे हैं या फिर कुल सैलरी का 40-50% दे रहे हैं। ये दिल्ली सरकार की तरफ से कोरोना महामारी शुरू होने के बाद जो दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं और दिल्ली स्टेट एजुकेशन एक्ट, 1993 के खिलाफ है। ऐसा किए जाने से इन प्राइवेट स्कूलों में काम करने वालों के सामने आर्थिक संकट पैदा हो जाएगा। इसलिए ना तो मासिक सैलरी रोकेंगे और ना ही कम करेंगे। अगर पैसे की कमी पड़े तो स्कूल जिस सोसायटी या ट्रस्ट की तरफ से चलाया जा रहा है, उससे पैसे का प्रबंध करें।
कई लोग बढ़ी फीस चुकाने की स्थिति में नहीं, भेदभाव बिना दें ऑनलाइन सुविधा
आदेश में कहा गया है कि बिजनेसमैन, प्रोफेशनल जो आवश्यक वस्तुओं को छोड़कर अन्य काम करते हैं वो इस बंदी के कारण बढ़ी हुई फीस या एकसाथ तीन महीने की फीस चुकाने की स्थिति में नहीं हैं। ऐसे समय में एनजीओ, चेरिटेबल सोसायटी, सामाजिक संगठन और यहां तक के सिंगल व्यक्ति भी एक दूसरे की मदद कर रहे हैं। फिर फीस बढ़ाना या फीस नहीं देने वालों को ऑनलाइन क्लास पासवर्ड ना देना या ऑनलाइन स्टडी मैटेरियल नहीं देना कानून का उल्लंघन है।
आदेश में कहा गया है ऐसे समय में बिना किसी भेदभाव के आर्थिक दिक्कत वाले परिवार अगर बढ़ी फीस नहीं चुका पा रहे हैं या नई हेड में मांगे जाने वाली फीस नहीं चुका पा रहे हैं तो भी उन्हें लर्निंग मैटेरियल ऑनलाइन पहुंचाएं। दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट एंड रूल, 1973 का नियम 165 में साफ कहा गया है कि हर महीने की 10 तारीख को फीस लेंगे। अगर उस दिन स्कूल बंद रहता है तो उसके बाद आने वाली 10 तारीख को फीस लेंगे। इतना ही नहीं अगर स्कूल की लंबे समय तक छुट्टी है तो स्कूल खुलने के 10 दिन के अंदर फीस का भुगतान लेंगे। ऐसे में स्कूल बंदी के दौरान फीस चुकाने के लिए बाध्यता कैसे कर सकते हैं।