वाशी। आचार्य श्री महाश्रमण जी की विदुषी साध्वी श्री शासन श्रीजिन रेखा जी के सानिध्य में अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा जैन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पर्व है पर्यूषण पर्व का शाब्दिक अर्थ है आत्मा में अवस्थित होना यह पर्व ग्रंथियों को खोलने की सीख देता है। आत्मा पर किसी तरह मेल चढ़ा है वह सब धुल जाए संस्कारों को शूद्रक बनाने और संस्कारों को तिलांजलि देने का अपूर्व अवसर है इस पर्व की 8 दिन इतने महत्वपूर्ण हैं की व्यक्ति संयम के द्वारा संयम को देखने का प्रयत्न करता है। यह 8 दिन नैतिकता और चरित्र की चौकसी का काम करते हैं भगवान महावीर का जीवन दर्शन और कालचक्र का विस्तार से व्याख्या किया समन्वय कैसे पुष्ट बने विस्तार से समझाया।
खाद्य संयम दिवस
इस दिवस की शुरुवात स्वरांजलि ग्रुप के गीत से मंगलाचरण हुआ साध्वी श्री माधव ऐसा जी ने कहा व्यक्ति को यदि स्वच्छ रहना है तो हित आहार मित आहार मिताहार करें तो बीमार नहीं हो सकता इंदुवडाला के 29 तब की अनुमोदना की जिसमें BC जी भलावत ने अनुमोदना की प्रमुखा श्री जी संदेश वाचन महावीर कोठारी ने किया।
स्वाध्याय दिवस इस दिवस की शुभारंभ सुमित जैन ने मंगलाचरण की से किया साध्वी श्रीजी धवल प्रभा जी ने कहा चरित्र निर्माण में स्वाध्याय की महत्वपूर्ण भूमिका है। आत्मा के अंदर अनंत जन्मों के संस्कार भरे हैं उसको जागृत करने का माध्यम स्वाध्याय हैं जिन रेखा जी ने आचार्य जीतमल जी सत्य की साधना और शोध में नीरत तेजस्वी संत थे। आचार्य श्री सज्जन चेतना का वृश्चिक अपूर्व था।
सामायिक दिवस इस दिवस की शुरुआत नववधू ने गीतिका से की साध्वी श्री श्वेत प्रभाजी ने कहा सामायिक से जीवन रूपी सरोवर में 5 रूपी नाले बंद हो जाते हैं अशुभ परिणामों की गंदगी फैलाने में वाले नाले बंद हो जाते हैं।
मौन दिवस नेरुल महिला मंडल द्वारा मंगल सगान से शुरुआत हुई साध्वी श्री जी श्वेत प्रभाजी ने कहा मून आनंद का अक्षय कोर्स है मोन से दिमाग की शक्ति बढ़ती है साध्वी श्री जिन रेखा जी कहां के जैसे पर्वतों में मेरु पर्वत नदियों में गंगा गायों का कामधेनु उसी प्रकार व्रत में ब्रह्माचार्य व्रत श्रेष्ठ है।
अनुव्रत चेतना दिवस युवक परिषद ने अनुव्रत गीत मंगल शुरुआत की साध्वी श्री मधुर निशा जी ने कहा अनुव्रत सुरक्षा कवच है जो व्यक्ति इसकी सरण में जाता है उसका आतंक संयम ही समाप्त हो जाता है अनुव्रत सिखाता है दूसरों के अस्तित्व के प्रति जागरण मानवी एकता का विकास करता है।
जप दिवस इस दिन की शुरुआत सीबीडी की महिला मंडल ने मंगलाचरण किया नेहरू से स्वरचित अनीता जी सियाल ने गीतिका की प्रस्तुति दी साध्वी श्री माधव यसाजी ने कहा मंत्र एक चिकित्सा है प्रतिरोधात्मक शक्ति है किसी को भय घृणा ईर्ष्या आदि बुरे विचार सताते हैं उसके लिए औषधि है मंत्र।
ध्यान दिवस इस कार्यक्रम की कोपर खैरना महिला मंडल द्वारा मंगलाचरण का शुभारंभ किया साध्वी श्री मधुर ऐसा जी ने कहा ने कहा ध्यान का अर्थ है मन साफ़ हो जाता जैसे पानी कपड़ों में लगे मेल को प्रक्षालित करता है उसे साफ करता है आग लोहे के जंग को जलाकर दूर कर देती हैं वैसे ही ध्यान से कर्म रूपी कचरे को जीव अलग कर देता है।
संवत्सरी महापर्व मैत्री पर्व उपासक सुशील जी मेडतवाल ने मंगलाचरण से शुरुआत की साध्वी श्री मार्दव यशा जी ने अध्यात्म को कल्पवृक्ष की उपमा दी जा सकती कल्पवृक्ष के नीचे बैठकर व्यक्ति अपनी हर कामना हर कल्पना मूर्त रूप दे सकता है। वर्द्धमान का कल्पवृक्ष है। अध्यात्म उसका लक्ष्य हैं। आत्मा की खोज मैं कौन हूं कहां से आया हूं कहां जाना है साध्वी श्री मधुर्य यसाजी ने भावदेव और भाऊ देव का व्याख्यान दिया साध्वी श्री श्वेत प्रभा जी ने चंदनबाला का जीवन दर्शन प्रस्तुत किया। साध्वी श्री धवल प्रभा जी ने दूध पता है आगम का वाचन किया जीवन की क्षण भंगुर नश्वर ता का चित्रण किया। नवी मुंबई अनुव्रत क्षेत्रीय संयोजक पंकज चंडालिया ने तपस्या अनुमोदना की गीतिका प्रस्तुति दी। शासन श्री जिन रेखा जी ने कहा वर्ष भर में एक बार आने वाला महापर्व आत्मा निर्मल बानने का परम पवित्रता का संदेश लेकर आता है। अंतर जगत मैं लगी हुई तन पाप ग्रंथियों को खोज कर भारमुक्त हो जाने के लिए इस महापर्व का शुभारंभ हुआ है जीवन में पवित्रता श्रेष्ठता और ज्योतिष पता अभी हार्दिक करने वाला यह पर्व जन जन को उल्लास एवं नई दिशा देने वाला है। आज का दिवस संजीवनी बूटी क्षमा मांगना और दूसरों के द्वारा की गई भूल को क्षमा करें देना ही यही मिच्छामी दुक्कड़म महावीर के जीवन दर्शन को विस्तार से सुंदर शैली में प्रस्तुत किया भाई बहिन का तब अनुमोदना हुई चातुर्मास काल में विभिन्न तपस्या इंदु वडाला ने 29 का सीमा मेहता ने 31 का तप संपन्न किया खुशबू चोरडिया ने 14 का किया रेखा कच्छारा ने 13 का चेतन राठौड़ ने 16 का तप संपन्न किया 11 तप की दो ने9 की तपस्या 15 ने आठकी तपस्या 25 चार पचरंगी ढाई सौ प्रत्याख्यान 110 तेले का का 8 की22 उपवास की बारी 3 की बारी 265 पोषक की आराधना हुई रात्रिकालीन में साध्वी श्री शासन श्री जिन रेखा जी ने विपाक सूत्र का वाचन किया यह जानकारी तेयुप संयोजक पंकज चंडालिया ने दी।
आत्मा अस्तित्व होने का पर्यूषण पर्व वाशी में

Leave a comment
Leave a comment