संक्रमण का प्रसार रोकने के मकसद से कई राज्यों में स्कूल बंद कर दिए गए हैं। इन दिनों ज्यादातर बच्चे पूरे दिन घरों में ही रह रहे हैं। ऐसे में यह ध्यान रखने की जरूरत है कि बच्चों के मन में कोई दीर्घकालीन डर न बैठ जाए। अपने घर में कोरोना के बारे में बात करते हुए सावधानी बरतें।
बच्चों में ये आदतें डालें
-20 सेकंड तक हाथ धुलने की आदत डालें।
-छींक या खांसी पर रूमाल का इस्तेमाल सिखाएं।
-मुंह पर हाथ रखने की जगह बांह का प्रयोग
-बच्चे हैंड सेनेटाइजर का सावधानी से प्रयोग करें।
जागरूक करें-
बच्चों को खतरे के बारे में पूरी जानकारी दें, उनके सवालों के जवाब दें
सच्चाई-
पूरी दुनिया में 8.1% किशोर ही कोरोना वायरस से कुल पीड़ित हैं ।
0.9% संक्रमित मरीजों की उम्र 9 साल या उससे कम पाई गई।
80% संक्रमित मरीज चीन में 30 से 69 साल की उम्र के हैं।
डराना नहीं, समझाना है-
-घर में या फोन पर किसी वयस्क या बच्चे से कोरोना पर बात करते हुए खुद को शांत और सकारात्मक रखें।
-बच्चे आपकी बातों और कहने के ढंग पर गौर करते हैं, अगर आप चिंता करेंगे या डरेंगे तो वे सहम जाएंगे।
-कोरोना को लेकर बच्चों की उत्सुकता को समझें और उनके सवालों को टालने की जगह ध्यान से सुनें।
-वायरस के लिए किसी समुदाय या देश को दोष देने वाली भाषा का इस्तेमाल बच्चों के सामने न करें।
-इस बात पर ध्यान दें कि वायरस के संबंध में बच्चे टीवी, रेडियो, मोबाइल या इंटरनेट पर क्या देख रहे हैं।
-वायरस से जुड़ी खबरें टीवी या इंटरनेट पर देखने की सीमा तय करें, एक विषय पर ज्यादा पढ़ने से फ्रिक बढ़ेगी।
-ध्यान रखें कि यह वायरस किसी को भी हो सकता है इसलिए बच्चों के सामने किसी के बारे में पूर्वागृह न बनाएं।
-बच्चों को वायरस से जुड़ी तथ्यपरक जानकारी ही दें, उनकी उम्र के हिसाब से ही उन्हें खबरें बताएं।
-बच्चों को लगातार सतर्क करते रहें कि वे इंटरनेट पर जो भी पढ़ रहे हैं, वह फर्जी भी हो सकता है।
-बच्चों को ये जरूर बताएं कि इस कोरोना वायरस से उनको बहुत कम खतरा है।