नई दिल्ली:कोरोना के कारण अदालतों में कामकाज बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। जहां सुप्रीम कोर्ट में महज छह बेंच ही बैठ रही हैं और वे सिर्फ एक से दो मुकदमे देख रही हैं। हाईकोर्ट दो घंटे के लिए काम कर रहे हैं, एनजीटी में भी काम बेहद कम कर दिया गया है। केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) में भी काम सीमित हो गया है। जिला अदालतों में भी वही मुकदमे सुने जा रहे हैं जो अति आवश्यक हैं। अन्य मुकदमों में तारीख दे दी गई है, कुछ में तारीख भी नहीं मिली। एनसीएलटी और तमाम उपभोक्ता अदालतों में भी काम घट गया है।
सुप्रीम कोर्ट में 15 बेंच हैं, जिसमें औसतन रोजाना 75 केस प्रति बेंच लगे रहते हैं। होली अवकाश से पहले ज्यादातर केसों की तारीख इस हफ्ते के लिए दी गई थी। इसमें उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दंगाइयों के पोस्टर लगाने का मामला भी शामिल था। लेकिन यह केस अब तक नहीं लगा है, जबकि अवकाशकालीन पीठ ने इसे प्राथमिकता पर लगाने के आदेश दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट में 50 हजार से ज्यादा केस लंबित हैं।
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दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में वायरस फैलने का सबसे खतरा ज्यादा है, क्योंकि यहां आने वाले वकील और वादी देश के सभी राज्यों से आते हैं कई विदेश से भी आते हैं। यहां जजों की औसत उम्र 60 वर्ष से ज्यादा है। वायरस फैसले से पहले गत माह सुप्रीम कोर्ट के छह जजों को एन1एच1 फ्लू हो गया था। इससे कोर्ट में घबराहट फैसले गई थी और फ्लू का टीका लगाने की व्यवस्था की गई थी।
अब कोर्ट ने भीड़ कम करने के लिए सभी अन्य सेवाएं जैसे कैंटीन और लाइब्रेरी, संग्रहालय बंद कर दिए हैं। अगले हफ्ते से कोर्ट में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये ही सुनवाई की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के सूत्रों के अनुसार,वीडियो कान्फ्रेंसिंग के लिए सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है। वकीलों को कोर्ट में कम से कम प्रवेश दिया जा रहा है। पत्रकारों का प्रवेश भी सीमित कर दी गई है। गेटों पर ही सबकी थर्मल स्क्रीनिंग की जा रही है।