नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व विचारक केएन गोविंदाचार्य ने दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की है, जिसमें विभिन्न सामाजिक मीडिया कंपनियों पर फ्रिडम ऑफ स्पीच के दुरुपयोग और भारतीय कानूनों का अनुपालन नहीं करने का आरोप लगाया गया है। उन्होंने याचिका में कहा कि इसके परिणामस्वरूप विभाजनकारी समाज और दंगे जैसे हालात पैदा हुए हैं।
उनकी इस याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने गूगल इंडिया, फेसबुक इंडिया और ट्विटर इंडिया को 13 अप्रैल के लिए याचिका और पोस्ट किए गए मामले पर नोटिस जारी किया। कोर्ट सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फर्जी खबरों को हटाने के लिए मध्यस्थों के नामित अधिकारियों के माध्यम से कार्रवाई करने के लिए केंद्र और सामाजिक मीडिया संगठनों की प्रतिक्रिया चाहता है।
गौरतलब है कि दिल्ली में पिछले दो महीनों से नागरिकता संशोधन कानून को लेकर हो रहे धरना प्रदर्शन के बीच कई बार हिंसा भी हुई। इसी दौरान सोशल मीडिया पर दिल्ली हिंसा को लेकर कई फेक वीडियो और न्यूज शेयर किए गए थे।
इसी बीच दिल्ली में हुई हिंसा में काफी नुकसान हुआ है। दिल्ली हिंसा में कई लोगों की मौत भी हुई है। जिनमें से कई शवों की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है। दिल्ली हाई कोर्ट ने आज ही इन शरों के अंतिम संस्कार की इजाजत दे दी है। हाई कोर्ट ने संबंधित विभाग से कहा है कि अज्ञात शवों के अंतिम संस्कार करने से 14 दिन पहले सूचना जारी करें। साथ ही इस सूचना में उनका नाम लिखा जाए।
बता दें कि इससे पहले हुई सुनवाई में कोर्ट ने अज्ञात शवों के अंतिम संस्कार पर 11 मार्च तक के लिए रोक लगा दी थी। इतना ही नहीं पुलिस को ये आदेश दिया गया था कि पास्टमार्टम की वीडियोग्राफी की जाए। दिल्ली पुलिस ने हाल ही में कहा था कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के सिलसिले में उसने 600 से अधिक मामले दर्ज किए हैं।