आज (शुक्रवार) को रिलीज हुई फिल्म ‘कामयाब’ अपने आप में अलग फिल्म है और वह इसलिए, क्योंकि यह फिल्म ‘आलू’ पर बनी है। आलू मतलब वह चीज जो हर सब्जी में इश्तेमाल हो सकता है। इसी तरह यह फिल्म भी उस किरदार पर आधारित है, जो हर हिन्दी फिल्म में होता ही है और उसके बिना कहानी आगे बढ़ ही नहीं सकती। जी हां, हम बात कर रहे हैं साइड हीरो की। हार्दिक मेहता निर्देशित फिल्म ‘कामयाब’ ऐसे ही एक एक्टर के जीवन पर बेस्ड है। फिल्म में संजय मिश्रा, दीपक डोबरियाल, मनोज बख्शी, सारिका सिंह आदि ने अहम किरदार निभाए हैं। फिल्म को शाहरुख खान की कंपनी रेडचिल्ली ने पूरे देश में रिलीज करने की जिम्मेदारी उठाई है।
कहानीः सुधीर (संजय मिश्रा) जो हिन्दी फिल्मों के जाना-पहचाना नाम हैं। ढलती उम्र के साथ अपने घर में अकेले रहते हैं। खाते, पीते आराम से जिंदगी गुजार रह होते हैं। उनकी बेटी (सारिका सिंह), दामाद, पोती भी हैं लेकिन वे उनके साथ रहने से मना करके अकेला रहना पसंद करते हैं। अचानक एक दिन टीवी चैनल वाले उनका इंटरव्यू लेने आते हैं और उन्हें पता चलता है कि उन्होंने अब तक 499 फिल्में की हैं और अगर 1 फिल्म और कर लेंगे तो उनका 500 फिल्मों का रिकार्ड बन जाएगा। वे सोचते हैं एक और फिल्म कर लेते हैं और अपने दोस्त कास्टिंग डायरेक्टर गुलाटी (दीपक डोबरियाल) के पास जाते हैं और यह बात बताते हैं। गुलाटी उन्हें एक फिल्म दिलवाने का वादा करता है, उसके बदले उनसे एक दूसरे आर्टिस्ट अवतार (अवतार गिल) की डबिंग करवा लेता है जिसकी वजह से वह उन्हें उल्टा-सीधा बोलता है और डबिंग से मिला पैसा भी उनसे ले लेता है। कहानी आगे बढ़ती है और गुलाटी के मातहत उन्हें 500 वीं फिल्म मिलती है लेकिन शूटिंग के समय वह डायलॉग भूल जाते हैं…! उसके बाद क्या होता है आप खुद ही थिएटर जाकर देखेंगे अच्छा रहेगा। फिल्म एक साइड एक्टर के जीवन के तमाम उतार-चढ़ावों पर प्रकाश डालते हुए उसके दर्द और अकेलापन की कहानी कहती है, जिसका सामना अक्सर ‘आलू’ (साइड एक्टर) को करना पड़ता है। ऐसी फिल्में बहुत कम बनती हैं इसलिए भी यह जरूरी फिल्म है।
अभिनयः लीड रोल में संजय मिश्रा ने यादगार किरदार निभाया तो दीपक डोबरियाल ने कास्टिंग डायरेक्टर की अच्छी भूमिका निभाई है। सुधीर की बेटी का रोल सारिका सिंह ने बखूबी निभाया है। बाकी किरदारों ने भी अपने किरदारों को इस फिल्म में परदे पर बखूबी निभाया है। कुल मिलाकर सभी ने अपने किरदारों के साथ न्याय किया है, छोटा रोल हो या बड़ा।
निर्देशन/संगीतः फिल्म का निर्देशन हार्दिक मेहता ने किया है। फिल्म के हिसाब से उन्होंने हर सीन और किरदार के साथ न्य़ाय करने की कोशिश की है। फिल्म शुरू से लेकर अंत तक कहीं भी बोर नहीं करती बल्कि दर्शकों को बांधे रखती है। इस फिल्म में संगीत का कोई खास महत्व तो नहीं है बावजूद जितनी है ठीक है।
बॉलीवुड के एक चरित्र अभिनेता के जीवन को दर्शाती फिल्म ‘कामयाब’ अच्छी बन पड़ी है।
सुरभि सलोनी की तरफ से ‘कामयाब’ को 3.5 स्टार।
- दिनेश कुमार ([email protected])