चित्रदुर्गा। साध्वी श्री अणिमाश्रीजी एवं साध्वी श्री मंगलप्रज्ञाजी के सानिध्य में चित्रदुर्गा तेरापंथी सभा के तत्वाधान में अणुव्रत स्थापना दिवस का भव्य कार्यक्रम तेरापंथ भवन में समायोजित हुआ।
साध्वी श्री अणिमाश्रीजी ने अपने प्रेरणादायी उद्बोधन में कहा अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री तुलसी ने स्वतंत्रता के पश्चात देश को चारित्रिक मूल्यों के पतन से बचाने के लिए एक सशक्त माध्यम दिया। जो अणुव्रत आंदोलन के नाम से विख्यात हुआ। अणुव्रत एक उजारा है। अणुव्रत एक रोशनी है। अणुव्रत एक प्रकाश रेखा है। अणुव्रत आंदोलन नैतिकता का आंदोलन है। आचार व व्यवहार शुहि का क्रांतिकारी जन आंदोलन है। भारत की स्वंत्रता के पश्चात उत्पन्न विषम परिस्थितियों में आ तुलसी ने अणुव्रत आंदोलन का सूत्रपात किया। इस आंदोलन ने तात्कालीन परिस्थितियों का सही मूल्यांकन किया। इसे रोग के निदान एवं समाधान के रूप में प्रस्तुत किया गया। लाखों व्यक्तियों ने इसे स्वीकार कर आचारनिष्ठ, प्रामाणिक एवं चरित्र संपन्न जीवन जीने का संकल्प किया। आप सब भी अणुव्रत के नियमों को समझे एवं इसे स्वीकार कर गुरुदेव तुलसी के सपने को साकार करें।
साध्वी वृन्द के मुखारबिंद से प्रभावशाली नियमों की व्याख्या सुनकर यंहा उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति ने अणुव्रत के नियमों का स्वीकार किया।
साध्वी सुधाप्रभाजी ने मंच का कुशल संचालन किया। साध्वी शौर्यप्रभाजी ने विचार व्यक्त किए।
सभा के मंत्री अरविंद बाफना, महिला मंडल अध्यक्ष कविता बाफना ने अणुव्रत के संदर्भ में विचार रखे। चित्रदुर्गा महिला मंडल की बहनों ने मंगल संगान किया। बंगलोर सभा के मंत्री प्रकाश लोढ़ा, कोषाध्यक्ष अशोक कोठारी, माणक संचेती, शुभकरण गोलक्षा ने सेवा उपासना का लाभ लिया।
अणुव्रत आंदोलन चारित्रिक शुद्धि का आंदोलन है – साध्वी अणिमाश्रीजी
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