विद्यार्थियों को आचार्यवर ने प्रदान किया अध्यात्म का ज्ञान
लोभ को कम कर दुर्गति से बचें : आचार्य महाश्रमण
28-02-2020, शुक्रवार, अतिग्रे, कोल्हापुर, महाराष्ट्र। महान परिव्राजक भारतीय ऋषि परंपरा के महनीय मनीषी अहिंसा यात्रा द्वारा लाखों लोगों में सद्भावना, नैतिकता एवं नशामुक्ति की अलख जगाने वाले जगाने वाले अहिंसा यात्रा प्रणेता पूज्य आचार्यश्री महाश्रमणजी का आज संजय घोड़ावत यूनिवर्सिटी में भव्य जुलूस के साथ मंगल पदार्पण हुआ। आचार्य श्री के आगमन मे स्वागतासुक घोड़ावत परिवार एवं यूनिवर्सिटी के हजारों विद्यार्थियों का उत्साह देखते ही बन रहा था। एक ओर जहां हेलीकॉप्टर द्वारा आकाश से कागज के फूल बरसाए जा रहे थे वहीं विभिन्न वेशभूषा में सज्जित विद्यार्थी जय जय महाश्रमण के नारे लगा रहे थे। चारों तरफ कतार में खड़ी लग्जरी गाड़ियों के मध्य मानो भौतिक चकाचौंध को त्यागने वाले अध्यात्म सुमेरु निरपृह रूप से गतिमान थे से गतिमान थे।
शांतिदूत के मंगल प्रवेश पर घोड़ावत ग्रुप के चेयरमैन संजय घोड़ावत एवं पारिवारिकजनों ने अपने आराध्य का श्रद्धासिक्त अभिनंदन किया। स्वागत समारोह में अमृत देशना देते हुए आचार्य श्री महाश्रमण जी ने कहा आदमी के भीतर अनेक वृतियां होती है। उसमें कुछ अशुभ तो कुछ शुभ भी होती है। व्यक्ति कभी गुस्से में चला जाता है, अहंकार मद उसके भीतर आ जाता है। कई बार माया, लोभ के वह वशीभूत हो जाता है। यह सब दुवृतियां हैं जो दुर्गति का कारण है। क्षमा, संतोष एवं निश्चलता जैसी सुवृतियां है जो सुगति में ले जाती है। लोभ अनेक वृत्तियों का आधार है। लोभ के कारण व्यक्ति, हत्या चोरी जैसे जघन्य अपराध भी कर लेता है। अगर व्यक्ति को गुडमैन, सदाचारी बनना है तो लोभ को कम करने का प्रयास करना चाहिए।
आचार्यवर ने आगे कहा–आज अनेक स्थानों पर बड़े-बड़े विद्या संस्थान खुले हैं जहां विद्यार्थियों को ज्ञान दिया जाता है। प्रोफेसर, शिक्षक ज्ञान का आदान प्रदान करते हैं। दुनिया में ज्ञान पवित्र चीज है, सबसे महत्वपूर्ण चीज है। शिक्षा, विद्या जीवन की एक संपदा है। जीवन में ज्ञान के साथ अच्छे संस्कार भी आए, हमारा आचरण अच्छा हो। अध्यात्म विद्या का ज्ञान है तो बाकि विद्याओं का भी महत्व बढ़ जाता है। यूनिवर्सिटी के संदर्भ में फरमाते हुए पूज्य ने कहा कि आज संजय घोड़ावत यूनिवर्सिटी में आना हुआ है। यूनिवर्सिटी में ज्ञान के साथ-साथ अच्छे संस्कार भी दिए जाएं। विद्यार्थियों को जीवन में नैतिकता, अहिंसा के संस्कार आए तो जीवन और सार्थक बन सकता है। शांतिदूत के आह्वान पर उपस्थित विद्यार्थियों के साथ-साथ यूनिवर्सिटी के चांसलर संजय जी घोड़ावत में अहिंसा यात्रा की संकल्पत्रयी स्वीकार की।
कार्यक्रम के दूसरे चरण में स्टार ग्रुप के चेयरमैन श्री संजय घोड़ावत ने अपने वक्तव्य में कहा मैं अपने आप को बहुत सौभाग्यशाली मानता हूं कि मेरे 55वें जन्मदिन पर आचार्य श्री कृपा कर मेरे यहां पधारे हैं। मैं आपका बहुत ऋणी हूं। आपका प्रवचन सुने बिना मेरे दिन की शुरुआत नहीं होती। 25 वर्षों में आज जिस ऊंचाई पर हूं सब गुरु का आशीर्वाद है। आपकी दी शिक्षाएं में आगे विद्यार्थियों में भी देता हूं। आपका ज्ञान हम सबको जीवन में आगे बढ़ाने वाला है। आचार्य श्री के पदार्पण पर बहुत कृतज्ञता व्यक्त करता हूं।
आचार्य श्री ने आशीर्वाद प्रदान करते हुए कहा जीवन में ध्यान दें कि जितना किया है उसे और आगे कैसे बढ़ाए। अध्यात्मिक, आत्मा के क्षेत्र में और हम आगे बढ़े। जन्मदिन चिंतन करने का समय है पिछला वर्ष कैसा बीता है? क्या करणीय नहीं किया और क्या बाकी है यह चिंतन हो। जन्मदिन और प्रेरणा प्रदान देने वाला बने। मंगलकामना।पूज्यवर ने महती कृपा करके वृहत मंगलपाठ प्रदान किया।
कार्यक्रम में समीक्षा रुणवाल आदि बहनों ने गीत का संगान किया। मुमुक्षु अर्हम रुणवाल, स्थानकवासी समाज के अशोक बाघमार, जैन श्वेतांबर तेरापंथी महासभा के अध्यक्ष सुरेश गोयल, अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष संदीप कोठारी, संस्कार स्कूल के महेंद्र सिंघी आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। संजय घोड़ावत इंटरनेशनल स्कूल के विद्यार्थियों ने स्वागत गीत की सुंदर प्रस्तुति दी।
उद्बोधन प्रदान करते हैं साध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभाजी ने कहा आचार्यवर के यूनिवर्सिटी में पदार्पण से विद्यार्थियों को शांतिदूत को सुनने का मौका मिला है। विद्यार्थी आज ऐसा ज्ञान प्राप्त करेंगे जिससे वे अपने जीवन का, आत्मा का लक्ष्य सार्थक कर पाएंगे। आचार्य श्री की प्रेरणा चरित्र को ऊंचा उठाने वाली है। आचार्य श्री का उपदेश ज्ञान के साथ जीवन को ऊंचा उठाने वाला है। कार्यक्रम के आसपास के क्षेत्रों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु श्रावक समाज की उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेशकुमार जी ने किया।
संजय घोड़ावत यूनिवर्सिटी में शांतिदूत श्री महाश्रमण का भव्य स्वागत
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