सीमंधर स्वामी आराधना भवन में पधारे तीर्थंकर के प्रतिनिधि
आचार्यवर ने की दुख के कारणों की व्याख्या
27-02-2020, गुरुवार, शिरौली, कोल्हापुर, महाराष्ट्र। अहिंसा यात्रा प्रणेता अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी ने आज सूर्योदय की मंगल बेला में हरीपूजा के श्री चंद्रेश रुनवाल के निवास से मंगल विहार किया। शांतिदूत श्री महाश्रमण जी का कोल्हापुर में तीन दिवसीय ऐतिहासिक प्रवास रहा। महाराष्ट्र स्तरीय स्वागत समारोह में स्वयं माननीय राज्यपाल ने शांतिदूत का स्वागत किया। वहीं पूज्यवर महती कृपा कर मुमुक्षु अर्हम रुणवाल को 28 अगस्त हैदराबाद में दीक्षा देने की घोषणा की। आज विहार के दौरान कोल्हापुर के जैन स्थानक में पगलिया करते हुए पूज्यवर लगभग 10 किलोमीटर विहार कर श्री सीमंधर स्वामी जैन श्वेतांबर आराधना भवन शिरौली पधारे।
श्रद्धालुओं को अमृतवाणी फरमाते हुए परम श्रद्धेय आचार्य श्री महाश्रमण ने कहा–दुख का मूल कारण क्या है? दुख क्यों होते हैं? समाधान में शास्त्रों में कहा गया कि पदार्थों के प्रति आसक्ति एवं काम वृद्धि दुख का मूल है। इससे न केवल मनुष्य बल्कि देवता भी दुख प्राप्त करते हैं। कायिक, मानसिक सब प्रकार के दुखों का आसक्ति मूल कारण है। वीतराग आसक्ति छोड़ देते हैं तो वह दुख मुक्त हो जाते हैं। कोई पदार्थ का त्याग भी कर दे परंतु भीतर उसके आसक्ति का भाव है तो वह दुर्गति की ओर ले जाती है।
आचार्य श्री ने आगे फरमाया कि ऊपरी त्याग के साथ-साथ भीतर तक उसकी जड़ चली जानी चाहिए। मन तक, भाव तक त्याग चला जाना चाहिए। त्याग निष्ठा पूर्वक हो, ज्ञान पूर्वक हो तो वह अधिक कारगर होता है। कामना, लालसा दुख के बड़े कारण है। लाभ के साथ-साथ व्यक्ति का लोभ भी बढ़ता जाता है। हम प्रयास करें कि जीवन में संतोष आए क्योंकि संतोष ही परम सुख है।
महातपस्वी महाश्रमण से पावन हुआ महालक्ष्मी मंदिर कल सायंपू ज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी का कोल्हापुर के ऐतिहासिक महालक्ष्मी मंदिर में पदार्पण हुआ। पूज्यवर ने मुख्य प्रतिमा एवं मंदिर का अवलोकन कर इतिहास की जानकारी प्राप्त की। कल दिनांक 28 फरवरी को शांतिदूत श्री महाश्रमण जी का धवल सेना के साथ संजय घोड़ावत यूनिवर्सिटी, अतिगरे में मंगल पदार्पण होगा।