नई दिल्ली: चीन में फैले कोरोना के दुनिया भर में पैर पसारने से वैश्रि्वक कारोबार में गिरावट की आशंका जाहिर की जा रही है। कोरोना की वजह से दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन और अमेरिका के कारोबार में सुस्ती के आसार हैं जिसका असर पूरी दुनिया के कारोबार पर पड़ना तय है। भारत सरकार भी अर्थव्यवस्था पर कोरोना के असर को लेकर सचेत है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि इस मामले में विभिन्न स्तर पर विभिन्न विकल्पों की देखा जा रहा है। विभिन्न मंत्रालयों के सचिव लगातार कोरोना के असर की समीक्षा कर रहे हैं और पूरी नजर रख रहे हैं।
अमेरिका और चीन के साथ 150 अरब डॉलर से अधिक का कारोबार करने वाला भारत भी इससे अछूता नहीं रहेगा। हालांकि अर्थशास्त्री अभी भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर पर कोरोना के किसी भी प्रकार के असर से इनकार कर रहे हैं। रिसर्च एवं रेटिंग एजेंसी मूडीज एनालिटिक्स की रिपोर्ट के मुताबिक वैश्रि्वक अर्थव्यवस्था की विकास दर में कोरोना की वजह से इस साल 0.4 फीसदी की गिरावट हो सकती है। पहले वर्ष 2020 के लिए वैश्रि्वक विकास दर में 2.8 फीसद की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया गया था जिसे घटाकर अब 2.4 फीसद कर दिया गया है। विश्र्व बैंक कोरोना की वजह से वैश्रि्वक विकास दर में एक फीसद तक की गिरावट की आशंका देख रहा है। कोरोना को लेकर अमेरिका में भी अलर्ट जारी कर दिया गया है। इराक, ईरान, इटली, दक्षिण कोरिया, जैसे कई देश कोरोना से प्रभावित है।
मूडीज एनालिटिक्स की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की सबसे बड़ी अमेरिका अर्थव्यवस्था में कोरोना की वजह से वर्ष 2020 में अमेरिकी अर्थव्यवस्था की विकास दर 0.2 फीसद की गिरावट के साथ 1.7 फीसद रहने का अनुमान है। इस साल की पहली छमाही में अमेरिका समेत दुनिया के कारोबार में सुस्ती की आशंका जताई जा रही है।
क्यों है सुस्ती की आशंका
मूडीज एनालिटिक्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन का पर्यटन कारोबार पूरी तरह से ठप है। विदेशी एयरलाइंस चीन नहीं जा रहे हैं और क्रूज यात्रा भी रद्द हैं। चीन के प्रभावित होने से दुनिया भर का टूरिज्म पर असर हो रहा है। अकेले 30 लाख चीनी हर साल अमेरिका घूमने जाते हैं। इटली में कोरोना के फैलने से पर्यटक अब यूरोप जाने से भी कतराने लगे हैं, इससे यूरोप का टूरिज्म प्रभावित होने जा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन में फैक्टरियों के बंद होने से एप्पल, नाइक एवं जनरल मोटर्स जैसी बड़ी कंपनियां प्रभावित हो रही है और माल की कमी की वजह से अमेरिका के वालमार्ट और अमेजन स्टोर में अगले एक- दो माह में सामान की कीमत बढ़ जाएगी।
कई चीजें हो जाएंगी सस्ती
चीन वैश्रि्वक स्तर पर विभिन्न जिंसों (कमोडिटीज) का सबसे बड़ा खरीदार है। लेकिन चीन की तरफ से मांग में कमी के कारण विश्र्व स्तर पर कच्चे तेल, कॉपर, सोयाबीन व पोर्क जैसे कई उत्पाद सस्ते हो जाएंगे। लेकिन चीन को सप्लाई देने वाले देशों की अर्थव्यवस्था इससे प्रभावित होगी। खासकर लैटिन अमेरिका के कई देशों की घरेलू अर्थव्यवस्था पर इसका विपरीत असर होगा।
भारतीय जीडीपी पर असर नहीं
अर्थशास्त्री गोविंद राव कहते हैं, भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोरोना का सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही प्रभाव होगा। सप्लाई चेन प्रभावित होने से कई चीजों के लिए कच्चे माल की कमी हो सकती है तो कई चीजें सस्ती हो जाएंगी। लेकिन कोरोना से भारतीय विकास दर के प्रभावित होने पर टिप्पणी करना जल्दीबाजी होगी। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशंस (फियो) के सीईओ एवं डीजी अजय सहाय कहते हैं, कोरोना की वजह से अगर कच्चे माल की कमी होती है तो उत्पादन लागत बढ़ेगी और हमारा आयात बिल भी बढ़ सकता है। स्टील कारोबार पर कोरोना का असर दिखने लगा है। स्टील के दाम में 500-700 रुपए प्रति टन की बढ़ोतरी की संभावना है।