नई दिल्ली: महाशिवरात्रि हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। भेले के भक्त साल भर इस दिन की प्रतीक्षा करते हैं। महाशिवरात्रि के अवसर पर पूजा अर्चना करने के लिए देश के कई हिस्सों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ भगवान शिव के मंदिरों में नजर आ रही है। मान्यता है कि इस दिन शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, बेर और भांग चढ़ाने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उसे महादेव की विशेष कृपा मिलती है।
क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि?
पौराणिक मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ही शिव जी पहली बार प्रकट हुए थे। इस शिवलिंग के बारे में जानने के लिए सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा ने हंस का रूप धारण किया और उसके ऊपरी भाग तक जाने की कोशिश करने लगे, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। वहीं, सृष्टि के पालनहार विष्णु ने भी वराह रूप धारण कर उस शिवलिंग का आधार ढूंढना शुरू किया लेकिन वो भी असफल रहे।
शिव का अभिषषेक करने से धन,भूमि,ऐश्वर्य की होगी प्राप्ति
वैसे तो भगवान शिव जल से प्रसन्न होने वाले देव हैं। इसलिए शिव का जलाभिषषेक करने की परंपरा है, लेकिन विभिन्न रस पदार्थो से शिव का अभिषषेक करने से मनुष्य को धन, भूमि, ऐश्वर्य आदि की प्राप्ति भी होती है।
- गन्ने के रस से अभिषषेक करने पर धन की प्राप्ति
- शहद से अभिषषेक करने पर ऐश्वर्य की प्राप्ति
- नारंगी के रस से अभिषषेक करने पर नवग्रहों की अनुकूलता
- अंगूर के रस से अभिषषेक करने पर भूमि की प्राप्ति
- नारियल पानी से अभिषषेक करने पर आकस्मिक धन लाभ
साधना की सिद्धि के लिए शिवरात्रि विशेष
वर्ष में शरद पूर्णिमा, दीपावली, होली तथा महाशिवरात्रि की रात साधना की सिद्धि के लिए विशेषष मानी गई है। शिवतंत्र में वैदिक उपासकों का अपना महत्व है। महाशिवरात्रि में वैदिक तंत्र की साधना विशेषष फल प्रदान करने वाली मानी गई है। यदि अपर रात्रि से ब्रह्म मुहूर्त के मध्य ध्यान साधना से स्तवन किया जाए तो साक्षात शिव की प्राप्ति होती है।