लगभग 11.8 कि.मी. का विहार के महातपस्वी महाश्रमण पहुंचे कणगला
स्थानकवासी साध्वियों ने किए शांतिदूत के दर्शन
20-02-2020, रविवार, कणगला, बेलगांव, कर्नाटक। अपनी पावन वाणी से जन-जन के मन को पावन बनाते हुए जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्म संघ के वर्तमान अधिशास्ता परम पूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी कर्नाटक की धरा पर अविरल रूप से प्रवर्धमान है। चरैवेति-चरैवेति सूत्र के साथ यात्रायित पूज्य प्रवर महाराष्ट्र के निकट पधार गए हैं। कर्नाटक राज्य की यात्रा अब संपन्नता की ओर है। आज प्रभात वेला में आचार्य श्री श्री ने धवल सेना के साथ भगवान बाहुबली क्षेत्र, गटूर से मंगल विहार किया। नेशनल हाईवे संख्या 4 पर पर संख्या 4 पर पर गुरुदेव लगभग 11.8 किलोमीटर का विहार कर कर कणगला गांव में पधारे। यहां पर स्थित आदर्श मराठी शाला में पूज्यवर का प्रवास हुआ।
प्रवचन सभा में कर्तव्यबोध की प्रेरणा प्रदान करते हुए आचार्य श्री महाश्रमण जी ने कहा कि महाश्रमण जी श्री महाश्रमण जी ने कहा कि कि जीवन में कर्तव्यबोध होना बहुत जरूरी है क्या करना क्या न करना इसका जिसे विवेक नहीं होता उसके जीवन में कभी भी अनिष्ट हो सकता है। हम जागरूक रहें और अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठावान रहे। सबके अपने-अपने कर्तव्य होते हैं। शिक्षक का कर्तव्य होता है, विद्यार्थी का अपना कर्तव्य होता है।इस प्रकार न्यायाधीश आदि अन्य का भी भी अन्य का भी न्यायाधीश आदि अन्य का भी भी अन्य का भी अपना-अपना कर्तव्य होता है। कर्तव्य के प्रति जागरूक होना बहुत जरूरी है।
ज्योतिचरण ने आगे कहा कि साधु का कर्तव्य है कि वह संयम में रत रहे। अपने साधुत्व की रक्षा करें। साधु संयम से जुड़ा हुआ है। वह सत्यमूर्ति, तपोमूर्ति होना चाहिए। साधुत्व का प्राण तत्व संयम है। मन का, वचन का एवं वाणी का संयम साधु रखें। काया को भी भी संयम में रखें। पापकारी प्रवृत्ति से बचें। गुप्तियां अच्छे हो जाए तो मानो अच्छा संयम आ आ गया। संयम जीवन का अच्छे से निर्वाह करते हुए साधु कर्तव्य बोध के प्रति जागरूक रहें।
आज कार्यक्रम में कोल्हापुर की ओर से विहार कर आई कर आई लिमडी अजरामर स्थानकवासी संप्रदाय के आचार्य श्री प्रकाशचंद्र जी म.सा. की आज्ञानुवर्ती शिष्या साध्वी श्री श्रेष्ठताश्रीजी म.सा. आदि ठाणा-3 ने शांतिदूत गुरुदेव के दर्शन कर सुखपृच्छा की।
कर्तव्य के प्रति हो जागरूक : आचार्य महाश्रमण
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