नई दिल्ली: कांग्रेस ने बुधवार को स्वदेशी पनडुब्बी निर्माण में उद्योगपति मित्रों की कथित मदद करने को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पत्रकारों से कहा- मोदी सरकार ने अडानी समेत अपने उद्योगपति मित्रों की मदद की है जबकि नौसेना इस समूह को काम देने का विरोध कर रही है।
कांग्रेस प्रवक्ता सुरजेवाला ने 75-आई पनडुब्बी खरीद परियोजना में मोदी सरकार पर पक्षपातपूर्ण निर्णय लेने और पूंजीपति मित्रों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया। यह 45,000 करोड़ रु.का प्रोजेक्ट है। सुरजेवाला ने कहा- इस प्रोजेक्ट में डिफेंस प्रोक्योरमेंट प्रोसिजर 2016 का उल्लंघन करने और भारतीय नौसेना और उसकी एम्पॉवर्ड कमेटी को तथाकथित रूप से नजरंदाज किया गया है।
कांग्रेस के सवाल:
- क्या मोदी सरकार 45,000 करोड़ रु. की पनडुब्बी खरीद परियोजना में अडानी डिफेंस जे.वी को प्राथमिकता देकर फायदा पहुंचा रही है?
- क्या मोदी सरकार डीपीपी 2016 और उसमें दी गई पात्रता के मापदंडों का उल्लंघन करके अपने पूंजीपति मित्रों के हितों को साधने का काम कर रही है?
- क्या मोदी सरकार अडानी डिफेंस जे.वी. की पात्रता न होने के मामले में भारतीय नौसेना और इसकी ‘एम्पॉवर्ड कमेटी’ के निर्णय को खारिज कर रही है?
सच्चाई
अप्रैल 2019- भारतीय नौसेना के लिए सामरिक साझेदारी मॉडल के तहत छः पारंपरिक डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां (प्रोजेक्ट 75-आई) बनाने के लिए ‘रिक्वेस्ट फॉर एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट’ के आवेदन मंगाए गए। इस परियोजना की अनुमानित लागत 45,000 करोड़ रु. है। इसके लिए भारतीय सेना ने एक ‘एम्पॉवर्ड कमेटी’ गठित की, जिसका अध्यक्ष नौसेना के ‘कंट्रोलर ऑफ वॉरशिप प्रोडक्शन एंड एक्विजिशन’ को बनाया गया।
इसके लिए पाँच आवेदन मिले:
- लारसन एंड टूब्रो लिमिटेड
- माजागाँव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड
- रिलायंस नैवल एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड
- हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (एचएसएल)
- अडानी डिफेंस + हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (एचएसएल) जॉइंट वेंचर
सुरजेवाला ने कहा- अडानी डिफेंस को बिजली संयंत्र चलाने का अनुभव
सुरजेवाला ने कहा- अडानी डिफेंस को जहाज या पनडुब्बी बनाने का ‘जीरो अनुभव’ है। यह कंपनी उस अनुच्छेद के आधार पर पनडुब्बी बनाना चाहती है, जिसमें एक बिजली संयंत्र स्थापित करने और चलाने का अनुभव गिना गया है। उन्होंने कहा- कथित रूप से निर्माण सुविधाओं, फाइनेंशियल रिकॉर्ड और अन्य मापदंडों के मूल्यांकन के बाद भारतीय नौसेना की ‘एम्पॉवर्ड कमेटी’ ने दो इकाईयों को चुना। इनमें भारत सरकार की मझगाँव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड और लारसन एंड टूब्रो शामिल हैं।