कहो, सहो और शांति से रहो: आचार्यश्री महाश्रमण
2.1.2020, गुरुवार, दमनूर, कर्नाटक। आदमी समूह में जीता है। जहां अनेक होते हैं, वहां संपर्क हो सकता हैं, सहयोग भी मिल सकता है तो संघर्ष भी हो सकता है। अकेला रहना कुछ मुश्किल हो सकता है। सामूहिक जीवन में सहिष्णुता रहती है तो शांति रह सकती है। सहिष्णुता के बिना शांति का रहना कठिन होता है। कभी छोटा बड़े को तो कभी बड़ा छोटे को सहन कर ले तो सामूहिक जीवन अच्छा रह सकता है– ये उद्गार अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमणजी ने गुरुवार को दमनूर में स्थित बरून्दा नेशनल स्कूल में आयोजित कार्यक्रम के दौरान व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि सामूहिक जीवन में गलती पर यथावसर कहना चाहिए, सहना चाहिए और शांति से रहना चाहिए। आदमी में सहिष्णुता, उदारता, परहित, नम्रता की भावना रहे तो कलह को उत्पन्न होने का मौका ही न मिले।
बैंगलुरु ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने कब्वाली के द्वारा अपने भावसुमन पूज्यचरणों में अर्पित किए। इससे पूर्व आचार्यश्री बेल्लारी से करीब 14.3 कि.मी. की पदयात्रा कर दमनूर में स्थित बरून्दा नेशनल स्कूल में पहुंचे और सायंकालीन आचार्यश्री दमनूर से 4.8 कि.मी. की पदयात्रा कर बायलूर में पहुंचे। शारदा हायर प्राइमरी स्कूल में आज का रात्रिकालीन प्रवास रहा ।