भारत में शहरों के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में मरीजों की तादाद बढ़ी है। स्ट्रोक के मरीजों की तेजी से बढ़ती तादाद पर गुरुवार को हुई स्ट्रोक समिट में विशेषज्ञों ने चिंता जताते हुए सरकार से इसके उपाय ढूंढने की अपील की। इस दौरान एम्स के न्यूरो विज्ञान केंद्र की प्रमुख डॉ एमवी पद्मा श्रीवास्तव ने कहा कि स्ट्रोक भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में मृत्यु का मुख्य कारण है, जो दिल की बीमारियों और टीबी को भी पीछे छोड़ चुका है। दुनियाभर में हर दो सेकंड में एक व्यक्ति को ब्रेन स्ट्रोक होता है और हर छह सेकंड में एक की जान चली जाती है। उन्होंने बताया कि भारत में स्ट्रोक 2016 में मौत का पांचवां मुख्य कारण बन गया है जो 1996 में 12वां प्रमुख कारण था। इसके कारण 100000 लोगों पर 119-145 लोगों की मौत होती है। इस नजरिए से तकरीबन 100 फीसदी वृद्धि हुई है। वहीं डॉक्टर श्रीवास्तव ने बताया कि हर साल भारत में 18 लाख लोग स्ट्रोक का शिकर होते हैं, लेकिन हमारे पास सिर्फ 2000 न्यूरोलोजिस्ट्स हैं।
हमें यह समझना होगा कि स्ट्रोक के मामले में ‘समय बहुत अधिक मायने रखता है’। इसलिए इस के बारे में जागरुकता बढ़ाना जरूरी है, ताकि मरीज़ को समय रहते इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया जाए। वर्ल्ड स्ट्रोक ऑर्गनाइज़ेशन के वाइस प्रेजीडेंट डॉ जयराज पांडियन ने कहा कि ग्रामीण भारत में स्ट्रोक के कारण औसत मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत की तुलना में अधिक है। उन्होंने इस दौरान कहा कि भारत में स्ट्रोक के मरीज़ों के लिए स्ट्रोक सेवाओं, थ्रोम्बोलाइसिस सेवाओं और पुनर्वास सेवाओं की कमी है, जिसे हमें दूर करना होगा। स्ट्रोक की रोकथाम ज़रूरी है और स्ट्रोक के मामले में मरीज़ को जल्द से जल्द इलाज मिलना चाहिए ताकि वह गंभीर अपंगता का शिकार न हो जाए।
ग्रामीण क्षेत्रों में किया गया अध्ययन
सम्मेलन के दौरान कहा गया कि ग्रामीण भारत में किए गए अध्ययन दर्शाते हैं कि भारतीय औसत की तुलना में यहां स्ट्रोक के कारण मृत्यु दर अधिक है। गडचिरोली, महाराष्ट्र में हर 100000 की आबादी में से 194 मामलों में जबकि लुधियाना, पंजाब में 100000 में से 210 मामलों में मरीज़ की मौत हुई है।
ग्रामीण क्षेत्रों में किया गया अध्ययन
सम्मेलन के दौरान कहा गया कि ग्रामीण भारत में किए गए अध्ययन दर्शाते हैं कि भारतीय औसत की तुलना में यहां स्ट्रोक के कारण मृत्यु दर अधिक है। गडचिरोली, महाराष्ट्र में हर 100000 की आबादी में से 194 मामलों में जबकि लुधियाना, पंजाब में 100000 में से 210 मामलों में मरीज़ की मौत हुई है।