नई दिल्ली:भारतीय सेना को भविष्य की लड़ाइयों के लिए तैयार करने के लिए अगले पांच साल में 1.5 लाख जवानों की कटौती हो सकती है। यह जानकारी खुद मामले से जुड़े सेना के दो अधिकारियों ने रविवार को दी।
अधिकारियों ने बताया कि 21 जून को कैडर समीक्षा आदेश में विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई है। इनमें सैनिकों की संख्या में 1.2 लाख कटौती से लेकर विभिन्न कार्यक्षमता की बेहतरी के लिए पुन:तैनती तक शामिल है। सैन्य सचिव लेफ्टिनेंट जनरल जेएस संधू के नेतृत्व वाली 11 सदस्यीय पैनल ने पूरे मामले की समीक्षा कर रही है। माना जा रहा है कि पैनल इस महीने के आखिर में अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत को सौंपेगी। जबकि अंतिम रिपोर्ट नवंबर तक आने की उम्मीद है।
ऐसे होगी कटौती : पदों और जिम्मेदारियों की समरूपता के आधार पर समायोजन के आधार पर अगले दो साल में 50 हजार सैनिकों की कटौती होगी।वहीं एक लाख सैनिकों की कटौती 2022-23 तक होने की उम्मीद है। हालांकि, अधिकारियों ने साफ किया कि यह मात्र प्रारंभिक आकलन है।
हर विभाग का पुनर्गठन : अधिकारियों ने बताया कि जवानों की कटौती का लक्ष्य सेना के प्रत्येक विभाग के पुनगर्ठन से हासिल किया जाएगा। इनमें सैन्य मुख्यालय निदेशालय, रणनीतिक प्रभाग, संचार अवस्थापना, मरम्मत विभाग, प्रशासनिक विभाग और सहायक क्षेत्र शामिल है। पैनल ने हाल के वर्षों में तंत्र में तकनीक को शामिल करने के बावजूद बहुस्तरीय पद सृजित होने पर भी चिंता जताई है।
जिम्मेदारियों की अस्पष्टता से प्रभावित काम : 21 जून के आदेश मेंजिम्मेदारी के अंतर की रेखा अस्पष्ट हो जाने से दोहराव की स्थिति उत्पन्न हो रही है। इसलिए सिफारिश की गई है पदक्रमों की समीक्षा की जाए और जरूरी होने पर उन्हें मिला दिया जाए।
पूर्व उत्तरी क्षेत्र कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) बी.एस.जसवाल ने कहा, लड़ाकू टुकड़ियों की संख्या में कटौती उच्च दक्षता वाले तकनीक को समाहित करने के साथ किया जाना चाहिए। हालांकि रणनीतिक विभाग में जिम्मेदारों जिम्मेदारियों की ओवरलैंपिंग चिंता का विषय, इसलिए संरचनात्मक बदलाव की जरूरत है।
कटौती क्यों जरूरी
– 83 फीसदी रक्षा बजट का केवल राजस्व खर्च
– 17 फीसदी राशि ही सैन्य आधुनिकीकरण के लिए बचती
– 7000 करोड़ रुपये तक की बचत होगी पुनर्गठन से