विजयी बनें सकारात्मक भाव : आचार्य महाश्रमण
13-12-2019, शुक्रवार, चट्टनहल्ली, कर्नाटक। अहिंसा यात्रा का कारवां अपने महानायक शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी के नेतृत्व में नगर-नगर, गांव-गांव में पांव-पांव चलकर सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति का संदेश देते हुए कर्नाटक के विभिन्न क्षेत्रों में एक नई धार्मिक क्रांति ला रहा है। इसी क्रम में आज आचार्य श्री महाश्रमण बिरूर से लगभग 12 कि.मी की पदयात्रा कर चट्टनहल्ली में स्थित गवर्नमेंट प्राइमरी स्कूल में पहुंचे। मार्ग में कई गांव के लोगों को आचार्यश्री के दर्शन और मंगल आशीर्वाद प्राप्त करने का सुअवसर मिला। आचार्यश्री और उनके नेतृत्व में गतिमान धवलवाहिनी के कारण प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण मार्ग और भी खिल उठा।
गवर्नमेंट प्राइमरी स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशासता आचार्यश्री ने अपने मंगल प्रवचन में उपस्थित जनता को संबोधित करते हुए कहा की आदमी के भीतर भावात्मक परिवर्तन होता रहता है। किसी समय आदमी के मन में क्या विचार होता है और कुछ ही समय बाद दूसरा विचार उभर जाता है। कभी वह शांत रहता है तो कभी क्रोधाविष्ट हो जाता है। इस प्रकार मन के चित्र पट पर विभिन्न दृश्य उभरते रह सकते हैं। मानों भीतर में भावों का सिनेमा चलता रहता है।
भावात्मक परिवर्तन की पृष्ठभूमि में मोहनीय कर्म का योग रहता है। आदमी को मोहनीय कर्म को कृश बनाने का प्रयास करना चाहिए। नकारात्मक और सकारात्मक दोनों भाव में संघर्ष होता है। उस संघर्ष में आखिर सकारात्मक भावों की विजय हो, यह अभिलषणीय है। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेशकुमारजी ने किया
कार्यक्रम से पहले और बाद में भी कई ग्रामीण आचार्यप्रवर की मंगल सन्निधि में पहुंचे। हालांकि वे हिंदी व अंग्रेजी भाषा से अनभिज्ञ थे, किंतु आचार्यश्री ने उन्हें संकेत आदि के द्वारा ही पावन प्रतिबोध प्रदान कर दिया।