खेल यानी शारीरिक मशक्कत। चाहे स्वीमिंग हो या क्रिकेट, टेनिस, फुटबॉल, या पार्क में थोड़ी देर का बैडमिंटन। हर तरह का खेल शरीर के लिए फायदेमंद है। रिसर्च के अनुसार, कोई भी खेल आपके शरीर की दैनिक खुराक की तरह होना चाहिए।
स्पोर्ट्स फिट बनने, वजन कम करने और सेहत की रखरखाव में मदद करता है। स्टैमिना बढ़ाता है। लेकिन इसके फायदे यहीं तक सीमित नहीं हैं, इसका मानसिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। न केवल वयस्कों, बल्कि बच्चों में खेल की आदत जीवनभर काम आती है। बोस्टन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के अनुसार, जो बच्चे खेल में अच्छे होते हैं वो डिप्रेशन का शिकार नहीं होते हैं।
खेल में मूड सुधारने और एकाग्रता बढ़ाने की क्षमता होती है। यह आत्मविश्वास और आत्मसम्मान को बढ़ाने में मदद कर सकता है। जब आप कोई खेल खेलते हैं तो एंडोर्फिन नामक फील-गुड, मूड अच्छा वाले रसायन मस्तिष्क में बनते हैं।
खेल बच्चों में संज्ञानात्मक कार्य को भी बढ़ावा देते हैं, जो बदले में, सीखने और जीवन के अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं में मदद करते हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि जो बच्चे किसी न किसी खेल में भाग लेते हैं, उनके बड़े होने पर सक्रिय और फिट रहने की संभावना अधिक होती है।
खेलना मानसिक तनाव को दूर करने एक अच्छा साधन (स्ट्रेस बस्टर) भी होता है। यानी खेलने से आपको तनाव के साथ-साथ कई बीमारियों से मुक्ति मिलती है। वास्तव में, शोध यह साबित करता है कि जो लोग नियमित रूप से खेलों में शामिल होते हैं, उनमें चिंता और अवसाद के लक्षणों का अनुभव कम होता है। ऑस्ट्रेलिया में हुए अध्ययनों से पता चला है कि सप्ताह में 1 से 3 दिन खेल में भाग लेने से मनोवैज्ञानिक परेशानियां 34 प्रतिशत तक कम हो जाती हैं। वहीं यह प्रतिशत 46 प्रतिशत तक चला जाता है जब कोई सप्ताह में 4 बार से अधिक खेल खेलता है।
वहीं एक अन्य अध्ययन के अनुसार, वे किशोर जो स्पोर्ट्स में भाग लेते हैं, उनमें अवसाद या आत्मघाती विचारों के आने की आशंका नहीं होती। अमेरिका में यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो बोल्डर के शोधकर्ताओं ने लगभग 11,000 युवाओं पर 14 साल तक अध्ययन किया। ऑर्थोपेडिक जर्नल ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन में यह भी पाया गया कि जो लोग खेल खेलते हैं, उनके 20वें से 30वें साल तक मानसिक स्वास्थ्य से पीड़ित होने की आशंका कम होती है।
कई तरीके से खेल के जरिए होने वाली शारीरिक गतिविधियां मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकती हैं। जैसे –
बेहतर मूड – अध्ययनों से पता चलता है कि शारीरिक गतिविधि का मनोदशा पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अनुसंधानकर्ताओं ने खेल खेलने वालों और शारीरिक निष्क्रियता जैसे किताब पढ़ने वालों पर अध्ययन किया। इन लोगों को अपने मूड को रेट करने के लिए कहा। पाया गया कि लोगों ने खेल के जरिए शारीरिक गतिविधि के बाद अधिक जागृति, शांति और अधिक संतुष्टी महसूस की।
तनाव कम करना – नियमित रूप से सक्रिय रहने से तनाव को कम करने में मदद मिलती है। यह तनावपूर्ण जीवन शैली का प्रबंधन में सहायक हो सकता है और दबाव में होने पर बेहतर निर्णय लेने में हमारी मदद कर सकता है। कामकाजी वयस्कों पर शोध से पता चलता है कि खेल में सक्रिय लोग कम सक्रिय होने वालों की तुलना में तनाव को बेहतर ढंग से झेल लेते हैं।
बेहतर आत्मसम्मान – शारीरिक गतिविधि का आत्मसम्मान पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। व्यक्ति अपने बारे में और खुद के मूल्यों को लेकर बेहतर महसूस करता है। यह मानसिक स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण संकेतक है। खेल में सक्रिय लोग बेहतर आत्मसम्मान के साथ दूसरों के साथ संबंधों में सुधार कर सकते हैं।
अवसाद और चिंता – अवसाद और चिंता से दूर रखने के लिए शारीरिक गतिविधि महत्वपूर्ण है। ऐसे में खेल के जरिए यह काम बहुत अच्छे तरीके से हो सकता है। यह अवसाद के लक्षणों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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