जलगांव – शासन श्री साध्वी श्री अशोक श्री जी के साथ अभिन्न रुप से वर्षों तक रहने का अवसर प्राप्त हुआ । निकटता से उनके विचार और व्यवहार को देखा । उनका जीवन अनेक विशेषताओं का पुंज था। वे सहज सरल एवम् शांत वृत्ति की साध्वी थी। उनमें गुरु भक्ति का भाव अनन्य. था। कभी गुरु के वचनों एवं साध्वी प्रमुखाजी के वचनों से किंचित भी इधर उधर देखने की बात वे स्वप्न में भी संभवत:नहीं सोचती थी। प्राण प्रण से उसे पूरा करना ही वह अपना लक्ष्य समझती थी।
साध्वी श्री के व्यक्तित्व के अन्य पक्षों को उजागर करते हुए साध्वी श्री ने कहा उनकी सहिष्णुता भी विलक्षण थी ,भयंकर वेदना में भी वे प्रायः समता में प्रतिष्ठित रहती थी ।निर्जरा को अपना आत्म धर्म समझती थी ,उन्होंने यह संस्कार अपनी साथ रहने वाली साध्वियों को भी दिए । साध्वी मंजूयशाजी, चिन्मयप्रभा जी ,चारुप्रभा जी, इंदूप्रभाजी आदि साध्वियों ने जिस अहोभाव से लंबे समय तक उनकी जो सेवा की वह प्रशस्य है । साध्वी श्री ने जागरुकता के साथ अनशन स्वीकार कर गण शिखर पर सुयश कलश चढ़ा दिया । ये उदगार आचार्य महाश्रमण जी की विदुषी शिष्या साध्वी निर्वाणश्री जी ने स्मृति सभा में व्यक्त किए ।
साध्वी योगक्षेमप्रभाजी द्वारा सद्य विरचित गीत का संगान कर साध्वी लावण्यप्रभा जी व साध्वी मधुरप्रभा जी ने जी ने उन्हें श्रद्धांजलि समर्पित की ।
तेरापंथ सभा के अध्यक्ष माणकचंदजी बॆद एवं परामर्शक ठाकरमलजी सेठिया , तेयुप अध्यक्ष राजेश धाडेवा एवं महिला मंडल की वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्रीमती नम्रता सेठिया ने साध्वी श्री के जलगांव प्रवास की स्मृतियों को याद करते हुए प्रणति समर्पित की। चार लोगस्स के सामूहिक ध्यान के साथ स्मृति सभा परि संपन्न हुई।यह जानकारी नोरतमल चोरडिया अणुव्रत भवन, जलगांव ने दी।
स्मृति सभा अनशन आराधिका साध्वी श्री अशोक श्री जी दशकों तक महकती रहेगी जिनकी यश सौरभ- साध्वी निर्वाण श्री
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