टॉयसिटी-चन्नपट्टना में शांतिदूत का पदार्पण
सुबह-शाम शांतिदूत ने किया 17 किमी का प्रलम्ब विहार
15-11-2019, शुक्रवार , चन्नपट्टना, रामनगर, कर्नाटक। अहिंसा यात्रा के साथ कर्नाटक की धरा पर शांति का संदेश फैलाते हुए परम पूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी आज पटेल ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूट, मालूर से विहार कर चन्नपट्टना पधारे। टॉय सिटी के नाम से पहचाने जाने वाली इस चन्नपट्टना में लकड़ी के खिलौने बनाए जाते हैं, जो दूर दूर तक प्रसिद्ध है।
जैन समाज की यहां पर अनेक घर है। आचार्यवर के नगर प्रवेश पर यहां की राजस्थान परिषद एवं जैन संघ ने स्वागत किया। लगभग 10.5 किलोमीटर का विहार का शांतिदूत का गवर्नमेंट हाई स्कूल चन्नपट्टना में पदार्पण हुआ।
यहां ऑडिटोरियम में जनसभा को संबोधित करते हुए आचार्य श्री महाश्रमण जी ने कहा कि व्यक्ति को जीवन में सत्संगति करनी चाहिए। त्यागी तपस्वी संतों के सानिध्य से व्यक्ति को अच्छी बातों को श्रवण करने का अवसर मिलता है। ज्ञान की बात सुनने को प्राप्त होती है। ज्ञान से विवेक की प्राप्ति होती है। विवेक होने पर व्यक्ति असद्प्रवृत्ति को छोड़कर अच्छे कार्यों में प्रवृत्त होता है। बुरी प्रवृत्ति को छोड़ने से व्यक्ति के जीवन में संयम आ जाता है। जितना-जितना जीवन में संयम होगा उतना ही पाप कर्मों का आगमन कम होगा। आचार्य प्रवर दृष्टांत के माध्यम से प्रेरित करते हुए फरमाया कि सत्संगति से बुद्धि की जड़ता खत्म होती है एवं मत्ति निर्मल बनती है। व्यक्ति को जितना हो सके अपने जीवन में सत्संगति का प्रयास करना चाहिए। मीडिया में भी व्यक्ति अनावश्यक चलचित्र को ना देखें। हिंसात्मक दृश्य को देखने से हमारे विचार दूषित बनते हैं। हम अच्छी बातों को देखें, अच्छी किताबें पड़े, तो जीवन अच्छा बन सकेगा।
तत्पश्चात शांतिदूत महाश्रमण जी ने अहिंसा यात्रा के तीन उद्देश्य सद्भावना, नैतिकता एवं नशामुक्ति की जानकारी देते हुए सभी को संकल्प स्वीकार कराएं। चन्नपट्टना जैन संघ के अध्यक्ष सुगन चंद जी कामदार, कन्नड़ प्रोफ़ेसर मधुसूदन जोशी, आशीष गेलड़ा, रेखा भूरठ, मोहित धारीवाल, प्रकाश भंडारी, मोनिका धोका आदि ने अपने भावों की अभिव्यक्ति दी महिला मंडल ने स्वागत गीत का संगान किया एवं नन्हे बच्चों ने सुंदर प्रस्तुति दी।
सायंकाल लगभग 6.2 किलोमीटर का बिहार कर पूज्य प्रवर प्रवर मत्तिकरै स्थित गवर्नमेंट आदर्श विद्यालय में पधारे।