निर्देशकः इरफान कमल
कलाकारः सूरज पंचोली, मेघा आकाश, पलोमी घोष व अन्य
सेटेलाइट शंकर एक फौजी, उसके जीवन के उतार-चढ़ाव के साथ ही मातृभूमि व मातृभूमि के लोगो के प्रति लगाव की कहानी कहती है। फिल्म इन सबके बीच देश में व्याप्त कई समस्याओं की तरफ भी ध्यान इंगित करती है। यह फिल्म विवादों से घिरे आदित्य पंचोली के बेटे सूरज पंचोली के जीवन की बेहतरीन फिल्म हो सकती है। देश के जवानों के जीवन को काफी करीब से दिखाती इस फिल्म में थोड़ा एक्शन के अलावा रोमांस, ड्रामा व वर्तमान में सोशल मीडिया के बढ़ते चलन में कई ऐसी चीजों को दिखा देती है, जो हमारे जीवन में घटता तो अक्सर है लेकिन हम उस पर ध्यान नहीं दे पाते।
कहानीः भारतीय फौज का जवान शंकर (सूरज पंचोली) जो अपने साथी जवानों के बीच सेटेलाइट शंकर नाम से जाना जाता है, 8 दिन की छुट्टी पर घर के लिए निकलता है लेकिन लोगों की मदद करने के चक्कर में उसकी दो बार ट्रेन छूट जाती है और बीच में कई और समस्याओं के चलते घर पहुंचने में देर हो जाती है। उसका 8 दिन का समय यूं ही उलझनों में गुजर जाता है और अंत में अपनी मां से मिलने का समय नहीं मिलता। इस बीच अपने फौज के शहीद जवान के मां एवं पत्नी, बच्चे से मिलता है जो कसम दिलाती हैं कि वह वापस ड्यूटी ज्वाइन करने से पहले अपनी मां से जरूर मिलेगा। इधर उसकी मां एक लड़की प्रमिला (मेघा आकाश) से शादी के लिए बात करती है, जिसकी आधार कार्ड वाली फोटो देखकर शंकर उससे शादी से इंकार करता है लेकिन जब पता चलता है कि वह खूबसूरत होने के अलावा नेकदिल भी है तो उससे वह प्रेम कर बैठता है। रास्ते में लोगों की मदद करते हुए सोशल मीडिया के जमाने में वह देश के लोगों के दिलों पर छा जाता है, जिसकी उसे भनक तक नहीं लगती। शहरों की भाईगीरी से लेकर कश्मीर में पत्थरबाजी और जवानों की सहनशीलता को बड़े ही संवेदनशील ढंग से दर्शाया गया है। यह सारी चीजें कैसे घटती हैं, शंकर अपनी मां से मिलने से पहले किस-किस से मिलता है, प्रेमकहानी पूरी होती है या अधूरी रह जाती है? 8 दिन बाद वह समय पर ड्यूटी ज्वाइन कर पाता है कि नहीं इन सभी चीजों को देखने के लिए फिल्म एक बार जरूर देखें।
निर्देशन/अभिनयः फिल्म का निर्देशन इरफान कमल ने किया है और हर सीन बेहतरीन बन पड़े हैं। कश्मीर, मुंबई, पंजाब सहित कई प्रदेशों के लोकेशंस को उन्होंने जिस रचनात्मकता से दर्शाया है, वह काबिले तारीफ है। फिल्म में सूरज पंचोली ने यादगार अभिनय किया है। लंबे समय विवादों में रहे सूरज के जीवन की यह यादगार फिल्म हो सकती है। इसी तरह एक मद्रासी लड़की की भूमिका में मेघा आकाश ने बेहतरीन अदाकारी की है, इसके लिए उन्हें दर्शकों द्वारा भुला पाना काफी मुश्किल होगा। उनकी मद्रासी टच हिन्दी काफी मोहक बन पड़ी है। एक ब्लॉगर की भूमिका में पलोमी घोष भी काफी अच्छी लगी हैं। फिल्म के बाकी किरदारों ने भी अपने किरदारों को जीने में कोई कमी नहीं छोड़ी है। कुल मिलाकर यह निर्देशन व अभिनय का ही कमाल है कि फिल्म पूरे समय दर्शकों को बांधे रखने में कामयाब रही है।
फिल्म में गीत संगीत कुछ खास तो नहीं है, फिर भी जितना है वह कहानी की मांग को ध्यान में रखकर ही शामिल किया गया है।
देश में व्याप्त तमाम समस्याओं को उजागर करती यह फिल्म एक जवान की सहनशीलता, समर्पण, समय पाबंदी और इस बीच प्रेम की अलग तरह की कहानी को देखने के लिए फिल्म सपरिवार देखें।
सुरभि सलोनी की तरफ से फिल्म को 4 स्टार।
- दिनेश कुमार ([email protected])