जलगांव। ‘२०’ वी सदी के महान संत आचार्य तुलसी का कर्तृत्व विलक्षण था । उन्होंने अर्ध सदी से अधिक के अपने शासनकाल में इतना दिया , जो न केवल जैनशासन के लिए अपितु मानव मात्र के लिए अनुपम वरदान के रुप मे है । उनका कर्तृत्व शताब्दीयो नहीं , सहस्त्राब्दियो तक इस भूतल पर गूंजता रहेगा ।” आचार्य तुलसी के १०६ वे जन्मदिवस – अणुव्रत दिवस पर समायोजित समारोह मे उपस्थित श्रध्दालुजनो को संबोधित करते हुए आचार्य महाश्रमणजी की विदुषी साध्वी निर्वाणश्री जी ने ये उदगार व्यक्त किए ।
प्रबुध्द साध्वी योगक्षेमप्रभाजी ने कहा – आचार्य तुलसी का व्यक्तित्व बहुआयामी था । वे न केवल एक आध्यात्मिक गुरु थे , अपितु महान समाज सुधारक थे।अपने परिपाशर्व मे परिव्याप्र बुराईयों को उखाड़ने मे उन्होंने अपने पुरुषार्थ का नियोजन किया।उनकी धर्मक्रांति का महत्वपूर्ण आयाम है अणुव्रत।
समारोह का शुभारंभ साध्वी मुदितप्रभा जी द्वारा समुच्चारित तुलसी अष्टकम् से हुआ ।साध्वी लावण्यप्रभा जी ने अपने भावों की सारगर्भित प्रस्तुति दी । साध्वी कुंदनयशा जी ने कविता पाठ किया एवं साध्वी मधुरप्रभा जी ने संगीत की स्वरलहरियो से उनको श्रद्धा समर्पित की।ज्ञानशाला के ज्ञानार्थी हिमांशु छाजेड़ एवं सान्वी छाजेड़ ने एक रोचक संवाद के माध्यम से आचार्यप्रवर के कर्तृत्व को प्रकट किया।
तेरापंथ सभा के अध्यक्ष माणकचंद जी बैद , यूवक परिषद् के अध्यक्ष राजेश धाड़ेवा , महिला मंड़ल की अध्यक्ष श्रीमती निर्मला छाजेड़ , टीपीएफ की अध्यक्ष श्रीमती वर्षा चोरड़िया ने अपने भावों की अभिव्यक्ति दी । खानदेश सभा का प्रतिनिधित्व अध्यक्ष अनिल जी सांखला ने किया।सभा के मंत्री नवरतन चोरड़िया ने भावपूर्ण गीत की प्रस्तुति दी।कार्यक्रम का संचालन साध्वी योगक्षेमप्रभा जी ने प्रभावी ढंग से किया।
अणुव्रत दिवस: गूंजता रहेगा जिनका कर्तृत्व सहस्त्राब्दियो तक – साध्वी निर्वाणश्री
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