नई दिल्ली: भारत में स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिए न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआईएल) ने एटमी संयंत्रों के निर्माण का काम तेज कर दिया है। भारतीय ऊर्जा फोरम के एक कार्यक्रम के दौरान परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव केएन व्यास ने कहा कि देश में इस वक्त 7 एटमी संयंत्रों का निर्माण जारी है। इसके अलावा 17 नए संयंत्रों पर भी जल्द काम शुरू होगा।
व्यास ने कहा कि हम संयंत्रों का एक साथ बड़े स्तर पर निर्माण शुरू करने वाले हैं, ताकि इन्हें बनाने का खर्च और समय दोनों कम किए जा सकें। एनपीसीआईएल ने पिछले साल कहा था कि 2030 तक भारत में 21 एटमी संयंत्रों का निर्माण पूरा कर लिया जाएगा।
एशिया का पहला परमाणु रिसर्च संयंत्र भी देश में ही बना
व्यास ने बताया कि भारत परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में पुराना खिलाड़ी रहा है। एशिया का पहला परमाणु रिसर्च संयंत्र भी हमारे देश में ही बना। कुछ मौकों पर हमारा रास्ता काफी मुश्किल था, तय समय तक हम 22 एटमी संयंत्र तैयार कर सकते थे, जो एटमी संयंत्रों के मामले में दुनिया का सातवां सबसे बड़ा बेड़ा होता।
‘‘अब तक देश में सिर्फ छोटे संयंत्रों का ही निर्माण हुआ है, ताकि इन्हें तैयार कर अंतरराष्ट्रीय मदद के बिना कुछ अनुभव हासिल किया जा सके। इसलिए इलेक्ट्रिकल ग्रिड में संयंत्रों का योगदान बेहद कम दिखाई देता है।’’
परमाणु ऊर्जा को लेकर कई भ्रांतियां: जितेंद्र सिंह
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि परमाणु ऊर्जा को लेकर लोगों के बीच कई तरह की भ्रांतियां हैं। इसे लेकर जागरूकता बढ़ाए जाने की जरूरत है। परमाणु ऊर्जा से ही देश में ऊर्जा की बढ़ती मांग की पूर्ति की जा सकती है। यह ऐसा संसाधन है, जो दैनिक दिनचर्या को सहज बना सकता है।