हॉन्गकॉन्ग: चीन पर फिलहाल किसी देश से हमले का खतरा नहीं है इसके बावजूद वह लगातार अपनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) का आधुनिकीकरण कर रहा है। हाल ही में चीन ने पीएलए के स्थापना दिवस पर 40% ऐसे हथियारों का प्रदर्शन किया, जो अभी तक सामने नहीं आए थे। कानवाएशिएन डिफेंस संस्था के संस्थापक आंद्रेई चेंग ने कहा है कि चीन लगातार दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम समुद्री काई, रनवे समेत सैन्य सुविधाएं जुटा रहा है। लेकिन उसका मुख्य निशाना ताइवान है।
दशकों तक पीएलए के बारे में अध्ययन कर चुके चेंग के मुताबिक, दक्षिण चीन सागर में चीन पहले चरण के तहत कृत्रिम सैन्य बेस और हवाईअड्डों का निर्माण पूरा कर चुका है। अगर दक्षिण चीन सागर में विवाद होता है तो अमेरिका चीन के कृत्रिम समुद्री द्वीपों पर आक्रमण कर उन्हें अलग कर सकता है। यही कारण है कि मौजूदा समय में चीन की प्राथमिकता ताइवान है।
‘जिनपिंग कुछ बड़ा करना चाहते हैं’
चेंग का मानना है कि शी जिनपिंग काफी महत्वाकांक्षी व्यक्ति है। वे माओत्से तुंग से न केवल सीखना चाहते हैं बल्कि उनसे आगे निकलना चाहते हैं। जिनपिंग वाकई कुछ बड़ा करना चाहते हैं। वे हमेशा सेना के बड़े कमांडरों से बात करते हैं। यह एकीकरण के लिए चीन की नई पीढ़ी का अभियान है। मुझे लगता है कि सबसे खतरनाक क्षेत्र ताइवान है। यही कारण है कि चीन की मिलिट्री परेड में सबसे ज्यादा फोकस ताइवान पर होता है।
चीन ने किया नए हथियारों का प्रदर्शन
1 अक्टूबर को पीएलए के स्थापना दिवस पर एक सैन्य परेड का निकाली गई। इस परेड में 40% ऐसे नए आधुनिक हथियारों को प्रदर्शित किया गया था, जो इससे पूर्व सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित नहीं किए गए। इस परेड से यह भी जाहिर हो गया है कि कम्युनिस्ट पार्टी पीएलए के लिए शोध और विकास के कितने काम कर रही है और इसमें कितना निवेश किया जा रहा है।
चेंग के अनुसार, सेना के विस्तार पर इतने निवेश से इस बात की भी संभावना है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं की शह पर ताइवान पर हमला बोला जा सकता है। हालांकि, चीन फिलहाल आर्थिक और राजनीतिक जंग को प्राथमिकता दे रहा है। उधर, ताइवान के मीडिया और समाज में चीन का दखल काफी बढ़ चुका है और वहां के लोग चीन के समर्थक बन रहे हैं।
चीन ताइवान के खिलाफ प्रोपेगैंडा चला रहा है
चीन मौजूदा समय में ताइवान के लोगों को मनोवैज्ञानिक तौर अपने पक्ष में करने के लिए प्रोपेगैंडा चला रहा है। यदि यह कारगर साबित नहीं होता, तो जिनपिंग ताइवान से युद्ध करने के बारे में सोच सकते हैं। जिनपिंग अक्सर अपनी बातों में सैन्य तैयारी जैसे जुमलों का इस्तेमाल करते हैं। इससे यह पता चलता है कि वह युद्ध के प्रति गंभीर हैं और अपने कार्यकाल में कुछ भी कर सकते हैं।
जिनपिंग के पास अभी काफी समय
जिनपिंग पहले ही पांच साल के दो कार्यकाल पूरे होने पर कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव के सेवानिवृत्त होने के नियम खत्म कर चुके हैं। इसका मतलब है कि उनके पास ताइवान को काबू में करने के लिए और मौजूदा तरीकों के विफल होने पर सैन्य विकल्पों पर विचार करने के लिए काफी समय है। हॉन्गकॉन्ग में लोकतंत्र समर्थक आंदोलन में हिंसा भड़की है। हालांकि, हॉन्गकॉन्ग आंदोलन से निपटने के चीन के तरीके के कारण ताइवान को भी खतरा नजर आने लगा है।
ताइवान के खिलाफ सेना का इस्तेमाल कर सकता है चीन; 40% ऐसे हथियार दिखाए, जो कभी सामने नहीं आए
Leave a comment
Leave a comment