नई दिल्ली: लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने पार्टी में सुधार को लेकर दिए बयानों पर सलमान खुर्शीद और ज्योतिरादित्य सिंधिया को नसीहत दी। उन्होंने पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का बचाव करते हुए कहा कि राज्य विधानसभाओं के चुनाव के माहौल में पार्टी नेताओं को ऐसे बयानों से बचना चाहिए जिससे हमें नुकसान हो। अगर कोई मुद्दे हैं तो इन्हें पार्टी स्तर पर उठाया जाए न कि सार्वजनिक रूप से।
सलमान खुर्शीद ने बुधवार को कहा था कि कांग्रेस की मौजूदा स्थिति देखकर दुखी हूं। लेकिन मेरा पार्टी से मोहभंग नहीं हुआ है। हमें विचार करने की जरूरत है कि ऐसी हालत क्यों हुई। कुछ प्रभावी कदम उठाने होंगे, क्योंकि वक्त कम है। इस्तीफा देने के बावजूद राहुल गांधी प्रमुख नेता हैं। हालांकि, इससे पहले उन्होंने राहुल के कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफे पर कहा था कि लोकसभा चुनाव में हार की समीक्षा करनी थी, लेकिन हमारे नेता (राहुल गांधी) ने हमें छोड़ दिया। यहीं, सबसे बड़ी दिक्कत है। कांग्रेस के अंदर अभी एक खालीपन है।
इसके बाद खुर्शीद के बयान पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रतिक्रिया देने से इनकार करते हुए कहा था कि इस समय कांग्रेस को आत्मचिंतन करने की जरूरत है। पार्टी में जो स्थिति है उसका जायजा लिया जाना चाहिए और उसके मुताबिक सुधार करना चाहिए है। यही समय की मांग है। इस पर चौधरी ने कहा कि हम सभी आत्मचिंतन कर रहे हैं। यहीं वजह है कि पूरी स्थिति पर मंथन करने के बाद हमने सोनिया गांधी से पार्टी की कमान संभालने का अनुरोध किया।
‘राहुल ने हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद छोड़ा था’
इस पर चौधरी ने दोनों नेताओं से कहा कि जब पार्टी राज्यों में चुनावी मूड में आ रही है, तो इस प्रकार की टिप्पणियों या कथनों से बचना चाहिए। यह पार्टी के लिए अच्छा नहीं है। उन्हें ऐसी टिप्पणी बाहर करने के बजाय, पार्टी के अंदर करना चाहिए। कई मौकों पर राहुल ने स्पष्ट रूप से कहा था कि उन्हें लगता है कि कांग्रेस की हार की जिम्मेदारी कांग्रेस अध्यक्ष की नैतिक जवाबदेही थी। इसलिए उन्होंने अध्यक्ष की कुर्सी को छोड़ना बेहतर समझा। उन्होंने यह फैसला कर राजनीति में दुर्लभ उदाहरण पेश किया है।
खुर्शीद के बयान पर अल्वी बोले- हमें दुश्मनों की जरूरत नहीं
वहीं, पार्टी नेता राशिद अल्वी ने भी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पार्टी में आग लगाने वाले नेता मौजूद हैं, बाहरी दुश्मन की जरूरत नहीं। मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी कहा कि जब सत्ता नहीं होती, तो बोलने वालों की बाढ़ आ जाती है।