शिशोदा। महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री कुन्दनप्रभा जी आदि ठाणा 5 की पावन सन्निधि में त्रिदिवसीय त्रिवेणी कार्यक्रम का समायोजन धाकड़ भवन शिशोदा में सभा व महिला मंडल के नेतृत्व में तेयुप द्वारा किया गया। कार्यक्रम के प्रथम दिन एक शाम भिक्षु के नाम भक्ति संध्या की शुरुआत साध्वी श्री के महामंत्रोचारण से हुई । मुम्बई से एक साथ 90 सदस्यों का समागम अपने आप मे आदर्श गांव शिशोदा में आदर्श उपस्थित कर रहा था। भक्ती संध्या में सुप्रसिद्ध संगायक नीलेश बाफना (सूरत) ने अपनी विशिष्ट प्रस्तुति से सबको रोमांचित कर दिया। कार्यक्रम की शुरुआत में साध्वी श्री द्वारा बाबे ने मनावा गीत को स्वर दिया गया।
कार्यक्रम के द्वितीय दिवस की शुरुआत दम्पति शिविर कपल कोचिंग के रूप में हुई। जिसमे 71 दम्पति व 61 सिंगल सदस्यों ने अपना रजिस्ट्रेशन करवाकर अपनी सहभागिता दर्ज करवाई।तथा अन्य सेंकडो व्यक्तियों ने दर्शक बन कर इस कार्यक्रम के प्रति अपनी मंगलकामनाएं प्रेषित की। कार्यक्रम की शुरुआत में मुम्बई से समागत अपने लाडले व लाड़लियों तथा सम्पूर्ण सभा का स्वागत अध्यक्ष दम्पति शांतिलाल जी धाकड़ व कमलादेवी द्वारा किया गया। शिशोदा निवासी सभी दंपतियों ने बादलियो रिमझीम रिमझीम बरसे रे गीत द्वारा सभी को बधाया। उस समय ऐसा लग रहा था जैसे शिशोदा बोम्बेमय बन गया है।कार्यक्रम का शुभारंभ नवकार मंत्र मंगलमय इस गीत से हुआ। साध्वी कुन्दनप्रभा जी ने कहा आज की भोर शिशोदा वासियों के लिए जागृति का संदेश लेकर आई है। आज का आपका विषय है दाम्पत्य जीवन को खुशहाल बनाने के लिए एक दूसरे को समझे सहन करे और स्नेह संपोषण से आगे बढ़े,संवाद का द्वार हमेशा खुला रहे, व्यंग्यात्मक भाषा का प्रयोग न हो। आपने आगे कहा एक दूसरे की कमियों को स्वीकार करना सीखना चाहिए तथा इसके साथ एक दूसरे की मत भिन्नता का भी सम्मान करना आना चाहिए। उक्त दो गुणों की मदद से ही दाम्पत्य जीवन स्वस्थ व टिकाऊ बन सकता है।
साध्वी विद्युतप्रभा जी ने कहा परिवार के दो कलाकार है पति और पत्नी। गृहस्थ जीवन की गाड़ी महिला व पुरूष के आपसी तालमेल की धरोहर है। आपने मैरिज शब्द की मीमांसा करते हुए अपने विचार व्यक्त किये। साध्वी श्री किरणयशा जी ने कहा रथ के दो पहिये समान गति से आगे बढ़े तो यात्रा सुखद व सुनियोजित होती है उसी प्रकार से पति और पत्नी के विचार और विनियम से बेमिसाल खुशहाली नजर आती है। साध्वी श्री चारित्र प्रभा जी ने कहा नो टेंशन लाइफ में कीजिये करेक्शन। साध्वी श्री शांतिप्रभा जी ने हमारा परिवार बने खुशहाल खुशहाल गीत से पूरी सभा को रोमांचित कर दिया।
मुख्य वक्ता श्री अर्जुनलाल जी सोलंकी ने कहा प्रयोगों द्वारा जीवन मे समाधि प्राप्त करे तथा अपने आपको आनंद से आपूरित रखे।
विशिष्ट वक्ता, युवा गौरव,श्रद्धा निष्ठ,शाशन सेवी श्रीमान पदमचंद जी पटावरी ने कहा ऐसे अनेक कार्यक्रमों में अपनी उपस्थिति दी किन्तु आज की सभा को देख कर मन प्रफुल्लित हो रहा है आज तीन पीढ़ी एक साथ मेरे सामने दम्पति के रूप में है। हमे अपना आत्मालोचन करना है कि हमने जिस विश्वास और वादे के साथ जीवन यात्रा प्रारंभ की उसमें कोई त्रुटि तो नही है। ऐसा सोचने वाला हमेशा सफलता श्री का वरण कर सकता है । अनेक उदाहरण से अपनी बातों को प्रस्तुत किया।
मुम्बई से समागत दंपतियों ने समुह गीत खिल गया है फूल चमन में सौरभ शानदार है प्रस्तुत किया।जमुना धाकड़,रेखा धाकड़, रेखा बेताला, तेयुप अध्यक्ष धर्मेश जी धाकड़, मंत्री महावीर जी धाकड़, मदन जी धाकड़, ने अपने विचार गीतिका, भाषण द्वारा प्रस्तुत किये। आभार ज्ञापन सभा मंत्री श्री रोशनलाल जी धाकड़ व महिला मंडल अध्यक्षा प्रेमदेवी धाकड़ ने किया । कार्यक्रम का सफल संचालन सभा सहमंत्री श्री दिनेश जी धाकड़ ने किया।
दम्पति शिविर के दूसरे सत्र में समर्पण एक अटूट रिश्ता पर साध्वी श्री कुन्दनप्रभाजी ने कहा रिश्तों को बताने में नही अपितु निभाने में विश्वास रखिये। रिश्तों को बनाना बहुत ही आसान है व निभाना बहुत ही कठिन है। रिश्तों में दीवार भले ही खड़ी हो जाये पर दरार न पड़ने दे। नारी अपने रिश्तों को निभाने के लिए पांच आभूषण धारण करे। साध्वी श्री विद्युतप्रभाजी ने रिश्तों को बरकरार रखने के लिए कुछ टिप्स बताए। रात्रि में सांस्कृतिक कार्यक्रम की अभिनव प्रस्तुति में लघु नाटिका, गीतिका, कव्वाली, कविता आदि की प्रस्तुति सदस्यों द्वारा दी गयी।
तृतीय दिवस प्रेक्षा ध्यान शिविर में वरिष्ठ प्रेक्षा प्रशिक्षक सोहनलाल जी सिंघवी द्वारा योगासन,प्राणायाम आदि के प्रयोग करवाये गए तथा प्रेक्षा ध्यान के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की। साध्वी चारित्रप्रभाजी व किरणयशाजी द्वारा विभिन्न मुद्राओं और चेतन्य केंद्रों के विषय में अपने विचार रखे। मंगलाचरण दिनेश धाकड़ ने किया। मदन जी धाकड़, उपासक अर्जुनलाल जी सोलंकी ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संयोजन तेयुप मंत्री महावीर जी धाकड़ ने किया। अंत मे साध्वी कुन्दनप्रभाजी ने मंगल पाथेय प्रदान कर मंगल पाठ सुनाया।
कार्यक्रम के विशेष सहयोगी स्व. नन्दलाल जी च.बंशीलाल जी,विनोद कुमार जी, एवं श्री मीठालालजी, विनोद कुमार जी, धर्मेश कुमार जी व सहयोगी स्व. सोहनलालजी, भगवती लाल जी, महावीर जी,सुनील जी धाकड़ ने सहयोग प्रदान कराया। भोजन- नाश्ता के सहयोगी के रूप में स्व. मीठालाल जी,सुरेश जी व श्री लक्ष्मीलाल जी, मीठालाल जी, कुंदन जी धाकड़ का सहयोग रहा।
कार्यक्रम को सफल बनाने में सभा अध्यक्ष शांतिलाल जी,मंत्री रोशनलाल जी एवं टीम, तेयुप अध्यक्ष धर्मेश जी धाकड़, मंत्री महावीर जी धाकड़ एवं टीम, महिला मंडल अध्यक्षा प्रेमदेवी धाकड़, मंत्री उषादेवी धाकड़ एवं टीम विनीत बहु मंडल से प्रेमा धाकड़, रेखा बेताला एवं टीम सभी संस्थाओं के पदाधिकारियों व सदस्यों का अभूतपूर्व सहयोग के साथ ही सम्पूर्ण ग्रामवासियों का भी विशेष सहयोग रहा । मुम्बई से पधारें हुए सभी शिविरार्थियों, ग्राम वासियों व आस पास चोखले के सभी गांवों से श्रावको की अच्छी उपस्थिति रही ।
शिशोदा में तीन दिवसीय त्रिवेणी कार्यक्रम का समायोजन
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