नई दिल्ली:जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट से मंगलवार को कहा कि राज्य में नाबालिगों को गैरकानूनी तरीके से हिरासत में लिए जाने की बात पूरी तरह बेबुनियाद है। रिपोर्ट के मुताबिक अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद से राज्य के 144 नाबालिगों को हिरासत में लिया गया था। लेकिन 142 नाबालिगों को बाद में रिहा कर दिया गया। कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट में बताया कि दो अन्य नाबालिगों को बाल गृह भेज दिया गया।
इस मुद्दे पर मंगलवार को कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने सीनियर एडवोकेट हुजेफा अहमदी से कहा, “हाईकोर्ट के जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने एक रिपोर्ट सौंपी है जिसमें नाबालिगों को कथित हिरासत में लिए जाने से इनकार किया गया है।” बाल अधिकार कार्यकर्ता अनाक्षी गांगुली और शांता सिन्हा ने इस संबंध में कोर्ट में याचिका दायर की थी। अहमदी ने कहा कि वह समिति के समक्ष इसका जवाब दाखिल करेंगे। बेंच ने इस रिपोर्ट पर अहमदी को जवाब दाखिल करने को कहा और इस मुद्दे पर सुनवाई के लिए दो हफ्ते बाद का समय तय किया।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से रिपोर्ट मांगी थी
इससे पहले, 20 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड से दो बाल अधिकार कार्यकर्ताओं की ओर से दायर याचिका के संबंध में तथ्य जांचने को कहा था। इस याचिका में कहा गया था कि अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद से जम्मू-कश्मीर में कई नाबालिगों को गैर-कानूनी तरीके से हिरासत में रखा जा रहा है।
पुलिस महानिदेशक ने खबर को आधारहीन बताया
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की चार सदस्यीय जुवेनाइल जस्टिस कमेटी की अध्यक्षता जस्टिस अली मोहम्मद माग्रे कर रहे थे। उन्होंने रिपोर्ट में कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में कमेटी से तथ्य का पता लगाने को कहा तो उन्होंने इस संबंध में तत्काल बैठक बुलाई। उन्होंने कहा, “कमेटी ने अपने अधीनस्थ कोर्ट से इस संबंध में डाटा जुटाने के निर्देश दिए। उसने पुलिस और अन्य एजेंसियों से भी नाबालिगों को हिरासत में रखे जाने को लेकर रिपोर्ट देने को कहा।” जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ने 25 सितंबर को कमेटी को अपनी रिपोर्ट सौंपी और किशोरों को हिरासत में रखे जाने से इनकार किया।
डीजीपी ने विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स में आई खबरों को आधारहीन बताया और निम्न बातें कहीं:-
- पम्पोर से 11 वर्षीय एक बालक के हिरासत में लिए जाने की बात पूरी तरह गलत है। यह खबर पुलिस की छवि को खराब करने के उद्देश्य से तैयार की गई थी।
- श्रीनगर के सौरा से नाबालिग को हिरासत में रखे जाने की बात वाशिंगटन पोस्ट ने छापी थी। हालांकि पुलिस ने इस बात को स्वीकार किया कि इस क्षेत्र में कुछ नाबालिग हिंसक घटनाओं में लिप्त थे लेकिन हिरासत में लिए जाने की बात गलत है। अखबार ने नाबालिग को हिरासत में रखे जाने का स्रोत नहीं बताया।
- क्विंट ने बारामुल्ला से बच्चों को हिरासत में रखे जाने की बात प्रकाशित की थी। डीजीपी ने बताया कि यह रिपोर्ट पूरी तरह काल्पनिक है। यह दर्शाता है कि अंतरराष्ट्रीय प्रिंट मीडिया और ऑनलाइन पोर्टल्स गलत खबरें प्रकाशित कर रही है। जबकि यह रिपोर्ट स्थानीय मीडिया में नहीं चल रही है।
- राजबाग पुलिस स्टेशन में 22 अगस्त को पत्थरबाजी करते पकड़े गए दो बच्चों को लेकर डीजीपी ने बताया कि उनसे उसी दिन पूछताछ के बाद उनके माता-पिता को सौंप दिया गया।
- स्क्रॉल ने 28 अगस्त को रिपोर्ट प्रकाशित किया कि एक बच्चा चाय और खाना लेकर अस्पताल जा रहा था कि पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। डीजीपी ने अपनी रिपोर्ट में इससे साफ इनकार किया और कहा कि अखबार पुलिस की छवि को बिगाड़ने की कोशिश की है।