डोंबिवली। तेरापंथ धर्म संघ के सरताज आचार्य श्री महाश्रमण जी की विदुषी शिष्या शासन श्री साध्वी श्री सोमलता जी के सान्निध्य में तेयुप के तत्वावधान में अभिनव सामायिक का कार्यक्रम आयोजित हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ नमस्कार महामंत्रोच्चार से हुआ।
शासन श्री साध्वी श्री सोमलता जी ने ओजस्वी वाणी में कहा- भव सिंधु को पार करने की नौका है- सामायिक। उपशम भाव में रमण करने के लिए सरोवर के समान है- सामायिक। आपने आगे कहा- सामायिक का मतलब है समता के सागर में डुबकी लगाना। जो व्यक्ति दो घड़ी समता का आसन बिछाकर सामायिक करता है वह पूणिया श्रावक की तरह अनंत अनंत कर्मों की निर्जरा कर मुक्ति पथ का राही बन सकता है।
हाजरी का वाचन करते हुए आपने कहा- उच्छृखलता और स्वच्छंदता के माहौल में तेरापंथ धर्म संघ का अनुशासन और समर्पण एक बेमिसाल नजीर पेश करता है। आचार्य भिक्षु ने जो संविधान की धाराओं में प्राण प्रतिष्ठा की वह एक तंत्र में जनतंत्र की जीवंत तस्वीर है। श्रमण भगवान महावीर के मरीचि भव के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
साध्वी श्री संचितयशा जी ने त्रिपदी वंदना और ध्यान व साध्वी श्री रक्षितायशा जी ने जप का प्रयोग करवाया।
तेरापंथ सभा के अध्यक्ष सुरेशजी सिंघवी, आभा तेयुप के क्षेत्रीय प्रभारी जगदीशजी परमार, डोंबिवली तेयुप अध्यक्ष राकेशजी कोठारी, मंत्री लालितजी पुनमिया, महिला मंडल संयोजिका मधु जी कोठारी, सहसंयोजिका रीनाजी हिंगड़ व अनिताजी बड़ाला, रीनाजी कोठारी, कन्या मंडल सहसंयोजिका रिंपल सिंघवी व आशी सिंघवी व अन्य मार्गदर्शकों की उपस्थिति रही।
भव सिंधु को पार करने की नौका- सामायिकः शासन श्री साध्वी श्री सोमलता जी
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