डोम्बिवली। स्वाध्याय प्रेमी आचार्य श्री महाश्रमण जी की विदुषी शिष्या शासन श्री साध्वी श्री सोमलता जी के सान्निध्य में पर्युषण पर्व का दूसरा दिवस स्वाध्याय के रूप में मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं सुमधुर स्वर लहरियों से हुआ।
शासन श्री साध्वी श्री सोमलता जी ने कहा- स्व आत्म दर्शन का दिव्य मार्ग है- स्वाध्याय। जो ब्रह्मवेला में “मैं कौन हूं, कहां से आया हूं”- यह अनुप्रेक्षा करता है वह अमृत रस का पान करता है। आपने आगे कहा – स्वाध्याय रूपी नन्दनवन में भ्रमण करने वाला व्यक्ति अनिर्वचनीय आनंद की अनुभूति करता है और बाहरी झंझटों से मुक्त होकर आलौकिक शांति प्राप्त कर सकता है। इसलिए प्रत्येक इंसान को प्रतिदिन आगमिक शास्त्रो के कम से कम पाच पृष्ठ आवश्य पढ़ने चाहिए ताकि जीवन ज्योतिर्मय बन सके।
साध्वी श्री जागृतप्रभा जी ने कहा- स्वाध्याय से ज्ञानावरणीय कर्म की निर्जरा होती है और ज्ञान का दीप जलता है। साध्वी श्री रक्षितयशा जी ने आनन्द भावना का प्रयोग करवाया।
आभा तेयुप के मंत्री संदीपजी कोठारी, मुंबई महिला मंडल अध्यक्षा भाग्यश्रीजी कच्छारा, मंत्री स्वीटीजी लोढ़ा व निवर्तमान राष्ट्रीय कन्या मंडल सहप्रभारी तरुणाजी बोहरा, डोंबिवली सभा अध्यक्ष सुरेशजी सिंघवी, मंत्री कैलाशजी सियाल, तेयुप अध्यक्ष राकेशजी कोठारी, मंत्री ललितजी पुनमिया, महिला मंडल संयोजिका मधुजी कोठारी, सह संयोजिका रीनाजी हिंगड़ व अनिताजी बड़ाला, कन्या मंडल संयोजिका प्रेक्षा बड़ाला, सह संयोजिका रिंपल सिंघवी व आशी सिंघवी की गरिमामय उपस्थिति रही।
स्व आत्म दर्शन का दिव्य मार्ग है – स्वाध्याय : शासन श्री साध्वी श्री सोमलता जी
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