मुंबई:स्पेशल नार्कोटिक्स ड्रग्स ऐंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस ऐक्ट अदालत ने आईपीएस अधिकारी और पूर्व डीआईजी साजी मोहन को 15 साल के कारावास की सजा सुनाई है। यह सजा उन्हें 2009 में अवैध रूप से 37 किलोग्राम हेरोइन रखने के लिए सुनाई गई। 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी को विशेष न्यायाधीश एमएस मुंगले ने यह कहते हुए दोषी करार दिया, ‘आरोपी बहुत पढ़ा लिखा एक आईपीएस अधिकारी था। वह नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, चंडीगढ़ के ज़ोनल डायरेक्टर था और खुद ड्रग्स की अवैध तस्करी में शामिल था।’
अदालत ने साजी के बॉडीगार्ड राजेश कुमार कटारिया को दस साल की सजा सुनाई है। इस केस में तीसरा आरोपी विक्की ओबेरॉय था। गिरफ्तारी के कुछ महीने बाद वह एटीएस का अप्रूवर बन गया था, इसलिए कोर्ट ने उसे बरी कर दिया। ड्रग्स के मामले में सोमवार को साजी मोहन को यह दूसरी सजा दी गई। इससे पहले 2013 में चंडीगढ़ की एक अदालत ने उन्हें ड्रग्स बेचने के लिए 13 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। इसके अलावा उन्हें भ्रष्टाचार के एक मामले में पांच साल की सजा सुनाई गई है। एक दूसरे आरोपी हरियाणा के कॉन्स्टेबल राजेश कुमार कटारिया को भी 850 किलोग्राम हेरोइन रखने का दोषी पाया गया और उसे दस साल की जेल की सजा दी गई है।
केरल का मूल निवासी साजी मोहन जम्मू-कश्मीर कैडर का आईपीएस अधिकारी था। उसकी बाद में चंडीगढ़ में ऐंटि-नाकोर्टिक्स कंट्रोल ब्यूरो में जोनल डायरेक्टर के रूप में नियुक्ति हुई थी। जिस वक्त उसकी गिरफ्तारी हुई, वह ईडी में कार्यरत था।
सजा के अलावा कोर्ट ने लगाया जुर्माना
अभियुक्त के खिलाफ मुख्य साक्ष्य शहर का एक कारोबारी विक्की ओबरॉय (68) बना। विक्की भी इस केस में सह-अभियुक्त था। मोहन और कटारिया के खिलाफ ओबरॉय के बयान को स्वीकार करते हुए अदालत ने उसे बरी कर दिया। कोर्ट ने मोहन और कटारिया को जेल के साथ ही जुर्माना भी लगाया। इसके तहत साजी मोहन को 1.5 लाख और राजेश कुमार पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया।
12 किलो हेरोइन के बाद मिली थी 25 किलो और हेरोइन
24 जनवरी, 2009 को साजी मोहन को 12 किलोग्राम हेरोइन के 12 पैकेट रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। जांच के दौरान उसके बाद 25 किलो और हेरोइन पाई गई। साजी की गिरफ्तारी से एक सप्ताह पहले विक्की और राजेश को पुलिस ने ओशिवारा से पकड़ा था। दोनों के पास से 1.85 किलोग्राम हेरोइन बरामद की थी। दोनों की भूमिका की जांच के दौरान साजी मोहन का नाम सामने आया था।
सोमवार को अदालत ने मोहन की पूर्व सजा को संदर्भित किया और एनडीपीएस अधिनियम के तहत उन्हें 15 साल की बढ़ी हुई सजा सुनाई। मोहन और कटारिया जहां जेल में बंद हैं, वहीं विक्की को स्वास्थ्य के आधार पर हाई कोर्ट ने जमानत दे दी थी। विशेष लोक अभियोजक अवधूत चिमालकर ने कहा कि अभियुक्त को अधिकतम सजा मिलना सही है क्योंकि वे कानून-लागू करने वाली एजेंसी का हिस्सा होने के बावजूद ड्रग्स बेचने जैसी गतिविधियों में लिप्त था।
‘मेरा परिवार बर्बाद हो गया’
कोर्ट ने साजी मोहन को सजा देने से पहले पूछा कि उसे कुछ कहना है तो उसने कहा, ‘मेरी मां की मौत हो चुकी है। मेरे पिता बहुत बीमार रहते हैं। उन्हें कुछ याद हीं रहता। मेरा परिवार बर्बाद हो गया है। मानवीय आधार पर मुझे कम से कम सजा दी जाए।’
37 किलो हेरोइन रखने के मामले में पूर्व डीआईजी साजी मोहन को 15 साल की सजा
Leave a comment
Leave a comment