तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं दिग्गज कांग्रेस नेता शीला दीक्षित का शनिवार को दिल्ली के एक निजी अस्पताल में दोपहर बाद 3:55pm पर निधन हो गया। वह 81 बरस की थीं। वह अभी दिल्ली कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष थीं। शीला दीक्षित को दिल्ली की सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने के लिए जाना जाता है। उन्होंने 15 साल तक दिल्ली में शासन किया। 2015 में आम आदमी पार्टी को भारी जीत मिली और फिर पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की कमान संभाली। शीला दीक्षित का राजनीतिक सफर काफी पुराना है। जानें उनके राजनीतिक सफर की 10 खास बातें –
* शीला दीक्षित अचानक संयोगवश राजनीति में आई थीं। उनके ससुर उमाशंकर दीक्षित एक समाजसेवी थे और स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में भाग भी लिया। बाद में वह इंदिरा गांधी की सरकार में कैबिनेट मंत्री बने। इस दौरान शीला दीक्षित अपने ससुर की कानूनी सहायता करती थीं। यह बात जब इंदिरा गांधी को पता चली तो उन्होंने उनकी प्रशासनिक क्षमता को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र कमिशन के दल का सदस्य नामित किया जो महिलाओं का प्रतिनिधित्व कर सके। बस यहीं से शीला दीक्षित के राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई।
* 1970 के दशक में वह युवा महिला मोर्चा की अध्यक्ष बनाई गई।
*1984 से 1989 तक शीला दीक्षित उत्तर प्रदेश के कन्नौज से लोकसभा सदस्य रहीं। इस दौरान वह लोगसभा इस्टीमेट कमिटी की सदस्य के रूम में भी काम किया।
* महिलाओं की स्थिति को लेकर उन्होंने 1984-89 के दौरान संयुक्त राष्ट्र आयोग में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
*1986 से 1989 के दौरान शीला दीक्षित केंद्रीयमंत्री के रूप में काम किया और दो विभागों राज्यमंत्री पीएमओ और राज्यमंत्री संसदीय कार्य मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली।
* 1990 में उन्होंने महिलाओं के खिलाफ अत्याचार को लेकर आंदोलन किया था।
* 1998 में वह दिल्ली की मुख्यमंत्री बनी और करीब 15 साल तक दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया।
* 1998 और 2003 में वह गोलमार्केट विधानसभा सीट से चुनी गईं। इसके बाद 2008 में वह नई दिल्ली सीट से विधानसभा के लिए चुनी गई।
* 2015 में आम आदमी पार्टी के हाथों दिल्ली में करारी हार मिलने के बाद शीला दीक्षित ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया।
* 2014 में उन्हें केरल का राज्यपाल नियुक्त किया गया। लेकिन कुछ महीनों बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।