रांची:झारखंड में नक्सलियों ने ड्रोन को अपना नया हथियार बना लिया है। इसके जरिये वे सुरक्षा बलों की गतिविधियों पर नजर रखने के साथ-साथ हमले की साजिश भी रच रहे हैं। पुलिस की विशेष शाखा ने इसका खुलासा करते हुए नक्सल प्रभावित जिलों के एसपी को पत्र लिखकर आगाह किया है।
अपने पत्र में विशेष शाखा ने लिखा है कि नक्सली अब ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। वे इसके माध्यम से पुलिस व अन्य सुरक्षा बलों के मूवमेंट और उनके कैंपों पर नजर रख रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक नक्सलियों ने नेत्रा पर भी हमले की योजना बनायी है। नेत्रा पुलिस और सीआरपीएफ का ड्रोन है जिसका इस्तेमाल नक्सलियों की रेकी और उनकी मौजूदगी की जानकारी के लिए किया जाता है।
वायरलेस भी होता है ट्रेस : नक्सल विरोधी अभियान का नेतृत्व करने वाले सुरक्षाबलों के अधिकारियों को यह भी ताकीद की गई है कि वे वायरलेस का सतर्कतापूर्वक इस्तेमाल करें। कहा गया है कि झारखंड पुलिस अभियान में मैनुअल वायरलेस सिस्टम का इस्तेमाल करती है। ऐसे में प्रभावित इलाकों में नक्सली वायरलेस की फ्रिक्वैसी मिलाकर सुरक्षाबलों की गोपनीय बातचीत सुन सकते हैं और उसी अनुसार योजना बनाकर किसी घटना को अंजाम दे सकते हैं। इसलिए नक्सल विरोधी अभियान के दौरान संबंधित अधिकारी वायरलेस पर अगले पोस्ट को सूचना न दें। अभियान के दौरान वायरलेस सेट पर होने वाली बातचीत और सिग्नल को गोपनीय रखें।अभियान के पहले वायरलेस पर सूचना फ्लैश नहीं करें।
बाजार में उपलब्ध हैं ड्रोन
भारतीय बाजार में ड्रोन कैमरे 2000 से डेढ़ लाख रुपए में आसानी से उपलब्ध हैं। तमाम ई-कॉमर्स कंपनियां भी इन्हें ऑनलाइन बेच रही हैं। झारखंड में एक दिसंबर 2018 से ड्रोन के इस्तेमाल की नियमावली लागू है। इसके मुताबिक, राजभवन, मुख्यमंत्री आवास, विधानसभा, मिलिट्री कैंप आदि जगहों पर ड्रोन का इस्तेमाल नहीं हो सकता।
नक्सलियों ने ड्रोन को बनाया हथियार
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