मनोर में जैन जीवन शैली कार्यशाला का भव्य आयोजन
मुंबई। आचार्य महाप्रज्ञ जन्म शताब्दी वर्ष के अंतर्गत आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेश कुमार जी ठाणा2 के सानिध्य में जैन जीवन शैली कार्यशाला का आयोजन जैन श्वेतांबर तेरापंथी समाज मनोर द्वारा स्थानीय शंकर मंदिर में किया गया। इस अवसर पर उपस्थित जनसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री जिनेश कुमार जी ने कहा आचार्य तुलसी ने योगक्षेम वर्ष में जैन दर्शन पर आधारित जैन जीवन शैली का निरूपण किया। जैन जीवन शैली में संप्रदाय की गंध नहीं है और न ही अतिवादी कल्पना का समावेश है। इसमें केवल जीवन निर्माण के बहुमूल्य सूत्र है इसलिए जैन जीवन शैली हर वर्ग संप्रदाय, लिंग, जाति के लिए उपयोगी है। जैन जीवन शैली के 2 सूत्र है सम्यक दर्शन, अनेकांत, अहिंसा, समण संस्कृति शिक्षा, इच्छा परिमाण सम्यक- आजीविका, सम्यक संस्कार, आहार शुद्धि- व्यसनमुक्ती व साधर्मिक वात्सल्य। जैन जीवन शैली के सूत्रों को आत्मसात करने से जीवन आनंदमय बन जाता है।
मुनिश्री जिनेश कुमार जी ने आगे कहा बदलते परिवेश में जैन संस्कारों का संरक्षण बहुत जरूरी है। जैन समाज दानी, सेवाभावी व जागरूक है। पर उसमें बुराई न आये, आडंबर प्रदर्शन नहीं बढे, व्यसन मुक्त रहें और आहार अशुद्ध ना हो उसके लिए सचेत रहना जरूरी है। व्यापार में अप्रामाणिकता, धोखाधड़ी न करें। जीवन में सकारात्मक सोच अनाग्रह का विकास व अहिंसा, करुणा, प्रमोद भावना बढ़ती रहे। जीवन को ढोंग से नहीं ढंग से जीने का नाम है जैन जीवन शैली।
इस अवसर पर मुनि श्री परमानंद जी ने कहा दुनिया की विभिन्न जीवन शैली में एक विशिष्ट जीवन शैली है जैन जीवन शैली। जैन जीवन शैली व्यक्ति को जैन बनाने से पहले उसे इंसान बनाती है।
इस अवसर पर कार्यक्रम का शुभारंभ पालघर कन्या मंडल द्वारा मंगलाचरण से हुआ। स्वागत भाषण भेरुलाल जी खिमेसरा ने दिया। जैन जीवन शैली गीत का संगान तेरापंथ महिला मंडल की बहनों ने किया। इस अवसर पर भूमि बाफना, पीयूष बाफना,इंद्रा बाफना, पालघर सभा अध्यक्ष नरेश जी राठौड़, बोईसर सभा अध्यक्ष दिलीप राठौड़ ने अपने विचार व्यक्त किए। आभार जज्ञापन विनोद राठौड़ ने किया। कार्यक्रम में पालघर, बोईसर से अच्छी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन मुनि श्री परमानंद जी ने किया अतिथियों का साहित्य द्वारा सम्मान किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में मनोर तेरापंथ समाज का महत्वपूर्ण योगदान रहा।