कांकरोली। श्री मेवाड़ जैन श्वेताम्बर तेरापंथी कॉन्फ्रेंस द्वारा आज 30 जून रविवार को आचार्य महाश्रमण जी की विदुषी शिष्या साध्वी श्री जिनबाला जी एवं साध्वी श्री प्रसन्नयशा जी ठाणा-7 के पावन सानिध्य में आचार्य महाप्रज्ञ जन्मशताब्दी समारोह, अहिंसा समवसरण लोकार्पण कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ साध्वी श्री के नवकार महामंत्र से हुआ, सुर संगम कांकरोली ने सुदर गीतिका प्रस्तुत की। मुख्य संरक्षक महेंद्र कोठरी ने स्वागत व्यक्तव्य दिया। कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष राजकुमार जी फत्तावत ने मेवाड़ कॉन्फ्रेंस के कार्यों को विस्तार से बताया ओर जन्म शताब्दी वर्ष में प्रेक्षा ध्यान शिविर, निबंध प्रतियोगिता, क्विज़ प्रतियोगिता आयोजित करने का प्रस्ताव दिया।
महामंत्री भूपेंद्र चोरड़िया ने बताया कि जिसमे अतिथि श्री गुलाबचंद जी कटारिया नेता प्रतिपक्ष, श्रीमती दिया कुमारी जी सांसद राजसमन्द एवं कुम्भलगढ़ विधायक सुरेन्द्र सिंह राठौड़, कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष राजकुमार फतावत, मुख्य संरक्षक महेंद्र कोठारी, लोकार्पण कर्ता श्री सुरेन्द्रजी मेहता देवगढ़, श्री गौतमजी बापना आसींद अहमदाबाद आदि उपस्तिथ थे।
तेरापंथ महिलामंडल और कन्यामंडल कांकरोली की 135 सदस्यों ने आचार्य महाप्रज्ञ के जीवन पर आधारित सूंदर गीतिका का मंचन किया। ज्ञानशाला की नन्ही बच्चियों ने भी सुंदर प्रस्तुति दी। सम्पूर्ण मेवाड़ से श्रावक – श्रविका उपस्थित रहें। सांसद दिया कुमारी ने अपने व्यक्तव्य में कहा आचार्य महाप्रज्ञ समाज की अनेक कुरुतियो को समाप्त किया समाज को एक नयी दिशा दी। जैन समाज की महिलायें भी काफ़ी सक्रिय है ओर समाज को आगे बढ़ाने में इनका महत्वपूर्ण योगदान है। प्रतिपक्ष नेता श्री गुलाबचंद कटारिया ने बताया कि आचार्य महाप्रज्ञ स्वयं प्रयोग करके फिर जनकल्याण की योजना लोगो के लिए प्रस्तुत करते इसलिए उनके अवदान लोकप्रिय गए। उन्होंने प्रेक्षाध्यान और जीवन विज्ञान के माध्यम से जैन धर्म को जन धर्म बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। लगता है उनका ज्ञान का तीसरा नेत्र खुल गया था इसलिये वो हर विधा में पारंगत हो गए।
साध्वी प्रसन्नयशा जी ने कहा कि आचार्य श्री महाप्रज्ञ जन्म के साथ ही प्रज्ञा लेकर आये थे। उनका आभा मंडल अत्यंत पवित्र प्रकाशमय और शक्तिशाली था। उनकी विनम्रता और गुरु के प्रति समर्पण अद्वितीय था। साध्वी जिनबाला जी ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञजी की प्रज्ञा का जो विस्तार हुआ वह अनुसंधान का विषय है। उन्होंने सेकड़ो सेकड़ो पुस्तको का सृजन कर एक बड़े सहित्य कोष का निर्माण किया। निश्चित ही उनके साथ दैवीय शक्तियां सहयोग करती थी। उनकी प्रज्ञा अदभुत थी। कार्यक्रम के अंत में उपाध्यक्ष बलवंत राकाँ ने आभार व्यक्त किया। मेवाड़ कॉन्फ्रेंस मीडिया प्रभारी रोहित चौधरी ने यह जानकारी दी।
श्री मेवाड़ जैन श्वेताम्बर तेरापंथी कॉन्फ्रेंस ने किया आचार्य महाप्रज्ञ जन्मशताब्दी समारोह का भव्य आयोजन
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