रेरा जैसे सुधारों और जीएसटी में टैक्स कम होने के बाद निर्माणाधीन घरों की खरीद पर लोगों का भरोसा लौटा है। परियोजनाओं में तेजी लाने के बिल्डर ग्राहकों को मुफ्त कार पार्किंग, क्लब मेंबरशिप जैसी ऑफर और शुरुआती दौर में कम ईएमआई के कंस्ट्रक्शन प्लान भी दे रहे हैं। अगर मकान की कीमत का 25 फीसदी धन आपके पास नहीं है तो बन रहे घर की खरीद से अपने आशियाने का सपना साकार करना ही बेहतर है। विशेषज्ञों का कहना है कि निर्माणाधीन घर पर नौकरीपेशा आदमी सालाना साढ़े तीन लाख रुपये तक की टैक्स बचत कर सकता है। उम्मीद है कि आम बजट में इस साल सरकार धारा 80सी के तहत आयकर छूट का दायरा और बढ़ा दे, जिससे और फायदा होगा। पेश है हिन्दुस्तान टीम की रिपोर्ट…
निर्माणाधीन घर सस्ते हुए
विशेषज्ञों का कहना है कि निर्माणाधीन घर खरीदने का यह सबसे अच्छा समय है। बिल्डर निर्माणाधीन घरों पर तैयार मकानों की तुलना में 20 फीसदी तक कम की पेशकश कर रहे हैं। पिछले कुछ सालों में मकानों की कीमतें गिरने से उसी अनुपात में लोन की रकम भी कम हुई है। रेरा लागू होने के डेवलपर समय पर मकानों की आपूर्ति के लिए कानूनी तौर पर बाध्य हैं, अन्यथा उन्हें मुआवजा देना होगा। तीसरा हाल के महीनों में ब्याज दरों में गिरावट आई है। इसलिए छोटे शहरों में भी निर्माणाधीन घरों के लोन के ब्याज पर टैक्स छूट का लाभ उठाना आसान हो गया है। हालांकि ध्यान रखें कि अच्छी छवि वाले बिल्डर की निर्माणाधीन संपत्ति खरीदें ताकि मकान मिलने में बहुत ज्यादा देरी न हो जाए।
ऑफर की बरसात
परियोजनाओं के लिए पैसा जुटाने के वास्ते बिल्डर आजकल निर्माणाधीन घरों की बुकिंग पर तमाम ऑफर दे रहे हैं। इसमें सेमी मॉड्युलर किचन, कमरों में एसी-एलईडी और वॉटर प्योरीफायर, वार्डरोब, फ्लोरपीएलसी, एक या दो साल का फ्री मेंटीनेंस, क्लब मेंबरशिप जैसे आकर्षक प्रस्ताव भी दे रहे हैं। निर्माणाधीन परियोजना में घर खरीद के वक्त आपके पास पसंद की फेसिंग, यूनिट और मंजिल चुनने के बेहतर विकल्प रहते हैं। तैयार मकानों में विकल्प बेहद सीमित हो जाते हैं।
निर्माण के साथ बढ़ती है कीमत
इसमें आपको नया घर मिलता है, जिसकी आयु ज्यादा होती है और मरम्मत का खर्च भी कम। निर्माणाधीन घर तैयार होते-होते और बनने के बाद भी इसकी कीमत बढ़ती जाती है। जबकि तैयार मकानों पर कीमत तेजी से घटती है। आने वाले समय में वहां प्रस्तावित मेट्रो, रैपिड रेल या अन्य परियोजनाओं को देखते हुए कीमत में तेज उछाल आता है।
मूल धन और ब्याज दोनों पर छूट मिलेगी
क्लियरटैक्स के सीईओ अर्चित गुप्ता का कहना है कि आयकर कानून की धारा 24 के तहत होम लोन के ब्याज पर सालाना अधिकतम दो लाख रुपये की टैक्स छूट मिलती है। धारा 80सी के तहत साल भर में चुकाए गए मूलधन पर 1.5 लाख रुपये की टैक्स छूट का दावा किया जा सकता है। अगर पांच साल से ज्यादा देरी होती है तो टैक्स छूट पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। आयकर की धारा 80सी के अंतर्गत निर्माणाधीन घर के लोन की चुकाई गई मूल राशि पर कोई टैक्स छूट नहीं मिलती है। बिल्डर कुछ बैंकों के साथ साझेदारी के तहत 40/30/40 जैसे कंस्ट्रक्शन प्लान भी दे रहे हैं, जिससे शुरुआती दौर में ईएमआई कम रहती है।
ब्याज पर पांच साल छूट ले सकेंगे
निर्माणाधीन घर पर जब तक आपको कब्जा नहीं मिलता, तब तक लोन के ब्याज पर कर छूट का लाभ नहीं मिलता। आप मकान का पूर्णता प्रमाणपत्र मिलने के पांच साल तक ब्याज पर कर छूट का दावा कर सकते हैं। निर्माण के दौरान जितना ब्याज आपने चुकाया है, उसे पांच बराबर हिस्सों में बांट दिया जाता है। मान लीजिए कि आपको 2020 में मकान का कब्जा मिलता है तो उस साल का ब्याज और निर्माण के दौरान ब्याज का पांचवां हिस्से का आप टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं और बाकी अगले चार सालों में। हालांकि आप पांच साल के पहले मकान मिल जाता है तो ब्याज पर अधिकतम दो लाख रुपये तक की टैक्स छूट का लाभ पा सकते हैं।
मकान पांच साल में बेचा तो टैक्स छूट वापस
अगर आप चाहें तो सबवेंशन प्लान के तहत मकान मिलने तक लोन पर ब्याज देने से छुटकारा पा सकता है। यह भी ध्यान रखें कि अगर आप मकान की खरीद के पांच साल के भीतर इसे बेच देते हैं तो यह टैक्स छूट वापस हो जाती है। अगर आप मकान खरीद या होम लोन लेने के पांच साल में ही बेच देते हैं तो टैक्स छूट का लाभ वापस हो जाता है। जितनी कर छूट का लाभ आपको मकान बेचने तक मिला है, उसे आपकी अगले साल की आय में जोड़ दिया जाएगा।
टैक्स ब्रेक का भी विकल्प
होम लोन के टैक्स हॉलीडे का दावा आप तभी कर सकते हैं, जब आप सह खरीदार या सह मालिक हों। अगर आप ईएमआई चुकाने वाले हैं तो ऐसा नहीं कर सकते। हां अगर आप अपने माता-पिता या पति/पत्नी के नाम पर खरीदी गई संपत्ति पर होम लोन की ईएमआई चुका रहे हैं तो संभावना बनती है। अगर घर संयुक्त नाम से है और दोनों पति-पत्नी द्वारा होम लोन की ईएमआई चुकाई जा रही है तो ब्याज और मूलराशि के भुगतान पर दोनों कर छूट का दावा कर सकते हैं। अगर आपका नाम लोन बुक में सह कर्जदार के तौर पर नहीं है तो कर छूट का दावा नहीं कर सकते।
प्रोसेसिंग फीस और प्रीपेमेंट चार्ज भी दायरे में
ज्यादातर करदाताओं को पता नहीं होता है कि लोन के लिए दी गई प्रोसेसिंग फीस या प्रीपेमेंट चार्ज भी कर कटौती के दायरे में आते हैं। इन्हें भी ब्याज के तौर पर माना जाता है और इस पर कटौती का दावा बाद में किया जा सकता है। हालांकि लोन की ईएमआई को लेकर कोई जुर्माना बैंक ने लगाया है तो उस पर छूट नहीं मिलेगी। धारा 80 (सी) 2 के तहत स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क भी टैक्स छूट का दावा करदाता कर सकते हैं।
मित्र-रिश्तेदार से लोन पर भी राहत
अगर आपने घर खरीदने के लिए अपने किसी मित्र या रिश्तेदार से लोन लिया है तो उसके ब्याज के भुगतान पर भी धारा 24 के तहत टैक्स छूट का दावा किया जा सकता है। मकान के पुननिर्माण या मरम्मत के लिए लिए गए कर्ज पर भी छूट मिलती है। हालांकि इसके लिए लोन और उस पर ब्याज का प्रमाणपत्र आपके पास होना चाहिए। मूलराशि के भुगतान के लिए गए ऐसे उधार पर टैक्स छूट नहीं मिलती।
क्यों बेहतर
– पिछले कुछ सालों में मकानों की कीमतें तेजी से गिरी हैं
– ऐसे में मूल धन और ब्याज पर कर छूट का भरपूर लाभ
– निर्माणाधीन घर में आपको नई परिसंपत्ति मिलती है
– बिल्डर ऐसे घरों पर दे रहे हैं कई तरह के अतिरिक्त लाभ
सावधानी बरतें
-अच्छी छवि वाले बिल्डर से निर्माणाधीन मकान खरीदें
– बिल्डर के पुराने प्रोजेक्ट में रह रहे खरीदारों से जानकारी लें
– मकान के साथ मिलने वाले लाभ और शर्तों को ठीक से पढ़ें
– लोन की शर्तों को लेकर बिल्डर और बैंक से स्पष्टता रखें