नई दिल्ली: रिजर्व बैंक (RBI) ने कहा कि भारतीय कस्टमर्स का पूरा पेमेंट डाटा भारत में मौजूद सिस्टम में ही रखा जाएगा। अगर पेमेंट की प्रोसेसिंग किसी दूसरे देश में पूरी हुई है तो उससे जुड़े डाटा को वहां डिलीट किया जाना चाहिए और उसे पेमेंट प्रोसेसिंग से एक कार्यदिवस या 24 घंटे (जो भी पहले हो) के भीतर वापस लाया जाना चाहिए।
आरबीआई ने जारी किया एफएक्यू
केंद्रीय बैंक ने अपने 6 अप्रैल, 2018 के डाटा लोकलाइजेशन से जुड़े सर्कुलर पर बुधवार को जारी फ्रीक्वेंटली आस्क्ड क्वेश्चंस यानी FAQs (Frequently Asked Questions) के माध्यम से ये बातें कहीं। आरबीआई ने कहा कंपनियों को पेमेंट से जुड़ा डाटा भारत में रखना सुनिश्चित करना होगा।
ओवरसीज रेग्युलेटर से साझा कर सकते हैं डाटा
आरबीआई ने स्पष्ट किया कि सीमापार लेनदेन के लिए घरेलू स्तर पर भी डाटा स्टोर किया जा सकता है। बैंकिंग रेग्युलेटर ने कहा, ‘जरूरत पड़ने पर पेमेंट डाटा ओवरसीज रेग्युलेटर के साथ साझा किया जा सकता है, जो ट्रांजैक्शन की नेचर/ओरिजिन पर निर्भर करता है। हालांकि इसके लिए आरबीआई की मंजूरी लेनी होगी।’
विदेशी ट्रांजैक्शन पर नहीं लगेगी कोई सीमा
स्पष्टीकरण में पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर्स द्वारा भारत के बाहर पेमेंट ट्रांजैक्शंस पर किसी तरह की सीमा नहीं होने की बात शामिल है। हालांकि, प्रोसेसिंग के डाटा भारत में ही सुरक्षित रखा जाएगा।
अप्रैल, 2018 में आरबीआई ने जारी किया था सर्कुलर
गौरतलब है कि आरबीआई ने अप्रैल, 2018 में ‘स्टोरेज ऑफ पेमेंट सिस्टम डाटा’ पर दिशानिर्देश जारी किए थे। इसमें सिस्टम प्रोवाइडर्स को 6 महीने के भीतर यह सुनिश्चित करने की सलाह दी गई थी कि पेमेंट सिस्टम से जुड़े पूरे डाटा की स्टोरेज भारत में ही एक सिस्टम में हो। आरबीआई ने कहा, ‘जहां प्रोसेसिंग के बाद डाटा भारत में स्टोर किया जाएगा, वहीं एंड-टू-एंड ट्रांजैक्शन की पूरी डिटेल डाटा का हिस्सा होनी चाहिए।’