-शांतिदूत के अभिनन्दन में बी.जी.एस. मठ के महास्वामी मैसूर महाराजा व अन्य राजनैतिक हस्तियां हुईं शामिल
-विभिन्न सामाजिक संगठनों के लोगों ने भी आचार्यश्री के अभिनन्दन में दी भावाभिव्यक्ति
-कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री श्री वी.एस. येदुरप्पा ने भी रास्ते में किए पूज्यप्रवर के दर्शन
-धर्म उत्कृष्ट मंगल, धर्ममय जीवन से मानव जीवन हो सकता है मंगलमय: आचार्यश्री महाश्रमण
23.06.2019 बेंगलुरु पैलेस, बेंगलुरु (कर्नाटक): कर्नाटक की राजधानी, भारत में फूलों के शहर के नाम से प्रसिद्ध, भारत के सबसे प्रमुख प्रौद्योगिकी केन्द्र के कारण ‘भारत के सिलिकाॅन वैली’ के नाम से प्रसिद्धि को प्राप्त बेंगलुरु में अपनी अहिंसा यात्रा के साथ मानवता का शंखनाद करने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, शांतिदूत, महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी का भव्य नागरिक अभिनन्दन समारोह बेंगलुरु पैलेस परिसर में समायोजित हुआ। महातपस्वी की अभिवन्दना में मानों पूरा बेंगलुरु ही उमड़ आया था। जाति, संप्रदाय, मजहब आदि के भेदभाव से परे सबको सन्मार्ग दिखाने वाले महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी की अभिवन्दना में जहां मैसूर घराने के राजा की उपस्थिति थी तो वहीं बी.जी.एस. मठ के श्री श्री श्री निर्मलानन्दनाथ महास्वामीजी, बेंगलुरु महानगर की महापौर सहित कर्नाटक राज्य के मंत्री व अन्य संगठनों के मुख्य व्यक्तियों, साहित्यकारों, वरिष्ठ नागरिकों, अनेकानेक उद्योगपतियों की उपस्थिति थी।
बेंगलुरु महानगर में दक्षिण भारत के दूसरे चतुर्मास से पूर्व बेंगलुरु महानगर के उपनगरों को पावन बना रहे आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ रविवार को शांतिनगर से मंगल प्रस्थान किया। क्षेत्रीय श्रद्धालुओं के साथ पूरे बेंगलुरु महानगर के श्रद्धालु आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में उपस्थित हो गए थे। इस कारण पूरे शांतिनगर में मेले जैसा माहौल था। आचार्यश्री अगले गंतव्य की ओर प्रस्थान किया तो अनेकानेक श्रद्धालुओं को आचार्यश्री के दर्शन करने और पावन आशीष प्राप्त करने का सुअवसर प्राप्त हुआ। आचार्यश्री जैसे-जैसे बेंगलुरु पैलेस के निकट पधारते जा रहे थे, साथ चल रहे श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही थी। आचार्यश्री बेंगलुरु पैलेस में पधारे। ऐसा लग रहा था आज आचार्यश्री के दर्शनार्थ पूरा बेंगलुरु उमड़ पड़ा था। पैलेस परिसर में बने मंच से सर्वप्रथम आचार्यश्री ने मंगल महामंत्रोच्चार के साथ समारोह का शुभारम्भ हुआ।
बेंगलुरु महिला मण्डल ने स्वागत गीत का संगान किया। बेंगलुरु चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री मूलचंद नाहर ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। वल्लभ निकेतन के सेक्रेट्री श्री सिद्धार्थ शर्मा ने कहा आज एक मंच पर सत्ता व अध्यात्म का मिलन हो रहा है। यदि कर्नाटक की सरकार आचार्यश्री से मार्गदर्शन और आशीर्वाद लेकर आगे बढ़ती है तो आम जनता का कल्याण हो सकता है। यह महानगर आप जैसे महातपस्वी को प्राप्त निहाल हो उठा है। वी.एस. संघ के अध्यक्ष श्री चेतन प्रकाश डूंगरवाल ने गीत के द्वारा अपनी भावाभिव्यक्ति दी। जीतो के पूर्व अध्यक्ष श्री तेजराज गोलेछा, राजपूत समाज की ओर से श्री मनोहर सिंह कुम्पावत, बी.बी.एम.पी काॅर्पोरेटर श्री सम्पत कुमार, जीतो-बेंगलुरु के अध्यक्ष श्री श्रीपाल खिंवेसरा, जिंदल एल्युमिनियम के सीएमडी श्री सीताराम जिंदल, श्री सतीश जैन, श्री के.के. भंसाली, सिरवी समाज के श्री ओमप्रकाश बरखा, राजस्थान पत्रिका के कार्यकारी संपादक श्री राजेन्द्र शेखर व्यास, साहित्यकार श्री मनोहर भारती, महासभा के पूर्व अध्यक्ष श्री हीरालाल मालू, महासभा के उपाध्यक्ष श्री कन्हैयालाल गिड़िया, अभातेयुप के अध्यक्ष श्री विमल कटारिया, कर्नाटक सरकार के आवास विकास मंत्री श्री एम.टी.बी. नागराज ने अपनी हर्षाभिव्यक्ति दी और आचार्यश्री का बेंगलुरु महानगर में हार्दिक अभिनन्दन किया।
राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा श्रीमती नागलक्ष्मी बीएम, चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के स्वागताध्यक्ष श्री नरपतसिंह चोरड़िया, श्री भगवान महावीर हाॅस्पीटल के सेक्रेट्री श्री किशनलाल कोठारी, बेंगलुरु महानगर की महापौर श्रीमती गंगाम्बिक मल्लिकार्जुन, कर्नाटक सरकार के जल संसाधन एवं संस्कृति मंत्री श्री डी.के. शिवकुमार व राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री तनवीर अहमद ने आचार्यश्री के अभिनन्दन में अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी व आचार्यश्री के कर्तृत्व और व्यक्तित्व को अपने शब्दों में वर्णित कर आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया।
मैसूर के राजा श्री यदुवीर कृष्णदत्ता चामराजा वडियार ने आचार्यश्री की वन्दना करते आचार्यश्री के अपने इस राज्य में और राजघराने के इस पैलेस में पधारने हेतु कृतज्ञता ज्ञापित की। उन्होंने कहा कि आचार्यश्री के दर्शन मात्र से ही मानों एक अलौकिक ऊर्जा मिलती है। कोलकाता व चेन्नई चतुर्मास के दौरान आचार्यश्री को बेंगलुरु में पदार्पण हेतु न्यौता लेकर पहुचें बी.जी.एस मठ के श्री श्री श्री निर्मलानंदनाथ महास्वामी ने आचार्यश्री को एक बड़ी माला और अंगवस्त्रम अर्पण कर अपने महानगर में अभिनन्दन किया। हालांकि आचार्यश्री ने उनकी भावनाओं को स्वीकार किया। तत्पश्चात् उन्होंने अपने हर्षाभिव्यक्ति देते हुए कहा कि आचार्यश्री का बेंगलुरु में पदार्पण मंगलकारी है।
इसके पूर्व तेरापंथ धर्मसंघ की असाधारण साध्वीप्रमुखा कनकप्रभाजी ने कहा कि आज कर्नाटक की राजधानी में महातपस्वी का अभिनन्दन हो रहा है। यह नागरिक अभिनन्दन उस व्यक्तित्व का है जिन्होंने देश, समाज और जन-जन के कल्याण के लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया है। आचार्यश्री के कर्तृत्व के आगे हिमालय भी बौना साबित हो रहा है। साध्वीप्रमुखाजी ने इस अवसर पर स्वरचित दो पद्य के माध्यम से श्रीचरणों की अभिवन्दना की।
समुपस्थित विराट जनमेदिनी को आचार्यश्री ने पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि दुनिया में मंगल का बहुत महत्त्व है। दूसरों के लिए मंगलकामना की जाती है और अपने लिए भी आदमी मंगल की कामना रखता है। दुनिया में सबसे उत्कृष्ट मंगल धर्म को कहा गया है। अहिंसा, संयम और तप को धर्म बताया गया है। जहां धर्म है वहां मंगल है। जहां अधर्म है वहां अशांति, अमंगल हो सकता है। आचार्यश्री ने समुपस्थित लोगों को जैन धर्म, जैन साधुचर्या और अहिंसा यात्रा की अवगति भी प्रदान की। आचार्यश्री ने जब उपस्थित जनसमूह से अहिंसा यात्रा के संकल्पों को स्वीकार करने का आह्वान किया तो पूरी जनता सहर्ष अपने स्थान पर खड़ी होकर आचार्यश्री के साथ अहिंसा यात्रा के तीनों संकल्पों को स्वीकार किया। बहिर्विहारी साध्वी कंचनप्रभाजी ने आचार्यश्री के दर्शन किए तो आचार्यश्री ने भी उन्हें पावन आशीर्वाद प्रदान किया। अंत में सभी उपस्थित विशिष्ट अतिथियों बेंगलुरु चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारियों द्वारा साहित्य व स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के पश्चात् आचार्यश्री जैसे ही आचार्य बेंगलुरु पैलेस से बाहर की ओर पधारे तो किसी कारण से विलम्ब से पहुंचे कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री वी.एस. येदुरप्पा ने आचार्यश्री के दर्शनार्थ रास्ते में ही अपने वाहन से उतर गए और आचार्यश्री को वंदन किया और आचार्यश्री के साथ कुछ दूर चले। आचार्यश्री से संक्षिप्त वार्ता कर तथा आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त कर वे अपने गंतव्य को रवाना हुए।