नई दिल्ली: भारतीय सेना पाकिस्तान से जुड़ी सीमा पर नए इंटिग्रेटेड बैटल ग्रुप्स (आईबीजी या वॉर ग्रुप्स) स्थापित करेगी। इनका मकसद जंग के दौरान सेना की क्षमता को और ज्यादा मजबूती देना है। योजना के मुताबिक, अक्टूबर तक यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। इसके बाद चीन सीमा पर भी वॉर ग्रुप्स बनाए जाएंगे।
जल्द ही 2 से 3 आईबीजी का निर्माण होगा: सूत्र
सैन्य सूत्रों ने न्यूज एजेंसी को बताया कि पश्चिमी कमांड में इंटिग्रेटेड बैटल ग्रुप्स की क्षमता को जांचने के लिए एक अभ्यास किया था। इसे लेकर सेना के उच्च अधिकारियों का फीडबैक सकारात्मक रहा। यही कारण है कि जल्द ही 2 से 3 आईबीजी का निर्माण किया जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक, पिछले हफ्ते 7 सेना कमांडरों के बीच इस प्रक्रिया और फीडबैक को लेकर विस्तृत चर्चा हुई थी। इसके बाद कमांडर-इन-चीफ ने विशेष क्षेत्र में आईबीजी की शक्तियों को बढ़ाने के निर्देश दिए थे। पहले बनने वाले 3 आईबीजी पश्चिमी कमांड से कुछ अलग होंगे।
आईबीजी के लिए दो तरह के समूहों पर परीक्षण किया गया। एक समूह को हमले के दौरान सीमा पार होने वाली गतिविधियों के अलावा युद्ध से संबंधित कार्यों की जिम्मेदारी दी गई, जबकि दूसरे को दुश्मन के हमले का सामना करने का जिम्मा सौंपा गया। इस अभ्यास में ब्रिगेड के बजाए आईबीजी का इस्तेमाल किया गया।
मेजर जनरल रैंक का अधिकारी आईबीजी को लीड करेगा
रिपोर्ट में बताया गया है कि एक ब्रिगेड में तीन-चार यूनिट होती हैं। हर यूनिट में करीब 800 जवान होते हैं। आईबीजी की योजना के मुताबिक, इसे मेजर जनरल रैंक का अधिकारी लीड करेगा। हर आईबीजी में 5 हजार जवान शामिल होंगे। इसके सफल परीक्षण को देखकर लगता है कि आईबीजी सेना के लिए गेम चेंजर साबित होगा।
आईबीजी सेना प्रमुख के प्रयास का हिस्सा
सूत्रों के मुताबिक, आईबीजी सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के प्रयासों का हिस्सा है। उनका मानना है कि युद्ध के दौरान सेना के ऑपरेशन स्ट्रक्चर की सही संख्या इसे और ज्यादा प्रभावी ढंग से कार्य करने में मददगार साबित हो सकती है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी सेना के आधुनिकीकरण में पूरा सहयोग देने का वादा किया है।